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दक्षिणाभिमुख होकर करें पितरों का तर्पण
पंडित गुणानंद झा ने बताया कि लोटे में तिल, जौ, कुश, सफेद फूल व जल के साथ गंगाजल डालकर पितरों का तर्पण दक्षिणाभिमुख होकर करना चाहिए. पितरों के नाम से उनका आह्वान करते हुए तर्पण करें. देवताओं का तर्पण पूर्वाभिमुख होकर करना चाहिए. ऋृषियों का तर्पण उत्तराभिमुख होकर करना चाहिए. तर्पण हमेशा उल्टे हाथ से करना चाहिए. शास्त्रों में बताया गया है कि पितृ पक्ष में तर्पण करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त मिलती है और उनका आशीर्वाद सदैव बना रहता है. 14 को अमावस्या श्राद्ध पंचांग के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या इस वर्ष 14 अक्टूबर को है. इस दिन पर जो लोग अपने पितरों के निधन की तिथि नहीं जानते हैं, वह इस दिन श्राद्ध कर्म, पिंडदान व तर्पण आदि कर सकते हैं. सर्व पितृ अमावस्या के दिन स्नान-दान को भी विशेष महत्व दिया गया है.
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