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Pitru Paksha 2023: वायुपुराण, गरुड़ पुराण और महाभारत जैसे कई ग्रंथों में प्रेतशिला पर्वत का महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि गया में श्राद्धकर्म और तर्पण के लिए प्राचीन समय में पहले विभिन्न नामों के 360 वेदियां थीं, जहां पिंडदान किया जाता था. लेकिन वर्तमान समय में बस 48 ही बची हैं. वर्तमान में इन्हीं वेदियों पर लोग पितरों का तर्पण और पिंडदान करते हैं. यहां की वेदियों में विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे और अक्षयवट पर पिंडदान करना जरूरी माना जाता है. इसके अतिरिक्त वैतरणी, सीताकुंड, नागकुंड, पांडुशिला, रामशिला, मंगलागौरी, कागबलि आदि भी पिंडदान के लिए प्रमुख माना जाता है. इन्हीं वेदियों में प्रेतशिला सबसे मुख्य है. हिंदू संस्कारों में पंचतीर्थ वेदी में प्रेतशिला की गणना की जाती है. कहा जाता है कि अकाल मृत्यु से मरने वाले पूर्वजों का प्रेतशिला वेदी पर श्राद्ध व पिंडदान करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस पर्वत पर पिंडदान करने से पूर्वज सीधे पिंड ग्रहण करते हैं. इससे पितरों को कष्टदायी योनियों से मुक्ति मिल जाती है और वो मोक्ष को प्राप्त हो जाते है.
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