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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गया में विपक्ष को कसकर जवाब दिया।
– फोटो : अमर उजाला डिजिटल
विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को देशभर में पांच रैलियां करने निकले। गया में उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए प्रोटोकॉल भी तोड़ा और माफी भी मांगी। उन्होंने डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा की जगह खुद माइक संभाल ली। फिर गया और महात्मा बुद्ध की धरती को नमन करते हुए उन्होंने संविधान, राम मंदिर और शक्ति की उपासना पर बात करते हुए विपक्ष को आड़े हाथ लिया। उन्होंने लालटेन युग की भी बात की और विकास की तस्वीरें भी दिखाई। इस दौरान उत्साहित लोगों को उन्हें कई बार मोदी-माेदी का नारा लगाने से रोकना भी पड़ा, हालांकि खुद भी उन्होंने कई बार लोगों से अपने अंदाज में सवाल-जवाब भी किया।
फिर एक बार का नारा लगवाया
प्रधानमंत्री ने पहुंचते ही कहा- “विश्व विख्यात ज्ञान और मोक्ष की पवित्र नगरी गया जी के हम प्रणाम करहि। भगवान विष्णु की धरती, भगवान बुद्ध के तपस्थली के हम नमन करहि। यह वह धरती है, जिसने मगध का ऐश्वर्या देखा है, जिसने बिहार का वैभव देखा है।” उन्होंने नवरात्र के साथ सम्राट अशोक की भी चर्चा की। कहा- “संयोग से आज जब मैं गयाजी आया हूं तो नवरात्रि भी है और आज ही सम्राट अशोक की जयंती भी है। सदियों बाद आज एक बार फिर भारत और बिहार अपने उस प्राचीन गौरव की वापसी के लिए आगे बढ़ रहा है।” इसे चुनाव से जोड़ते हुए उन्होंने कहा- यह चुनाव विकसित भारत, विकसित बिहार के संकल्प का चुनाव है। गया की धरती पर उमड़ा यह जनसैलाब और आपका यह उत्साह साफ बता रहा है- फिर एक बार? फिर एक बार? फिर एक बार?” जवाब मिला- मोदी सरकार। इसके बाद उन्होंने पूछा- “4 जून? 4 जून? 4 जून?” जवाब मिला- 400 पार।
संविधान बदलने के सवाल पर कहा
पीएम मोदी ने संविधान बदलने के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि स्वयं बाबा साहब अंबेडकर भी इस संविधान को नहीं बदल सकते तो भाजपा इसकी हिम्मत कैसे कर सकती है! इन्हें पता होना चाहिए कि यह जो संविधान सभा थी, देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद उसका नेतृत्व करते थे। बाबा साहब का दिल, दिमाग और कलम इस संविधान को शब्दों में ढाल रहा था। देश के गणमान्य लोग विचार-विमर्श करते हुए भावनाओं को समझते हुए इसका निर्माण किया। उन्होंने कहा कि संविधान की ताकत के कारण ही आज मोदी इस जगह पर है। यह संविधान नहीं होता तो कभी ऐसे पिछड़े परिवार में पैदा हुआ गरीब का बेटा देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता था।
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