जम्मू-कश्मीर में मौजूद आतंकी संगठनों ने इस साल सुरक्षा बलों पर कई बड़े हमले किए हैं। तकरीबन सभी हमलों को लेकर खुफिया इनपुट भी रहा है। हालांकि उस इनपुट में एक स्पष्ट जगह का जिक्र नहीं होता, उसमें एक क्षेत्र विशेष का संकेत दिया जाता रहा है। राजौरी और पुंछ के जिन इलाकों में हमले का इनपुट रहता है, वहां रोड ओपनिंग पार्टी ‘आरओपी’ की मौजूदगी बताई जाती है। इसके बावजूद हमलों को रोका नहीं जा सका। हमले के बाद आतंकियों के पास इतना समय रहता है कि वे जवानों के साथ की गई बर्बरता का वीडियो तक बना लेते हैं। इस इलाके में हुए हमलों के दौरान, सुरक्षा बलों को दूसरी जगह से फौरी तौर पर मदद भी नहीं मिल सकी। सुरक्षा बलों के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ऐसा नहीं है कि सैन्य मूवमेंट का इनपुट लीक हो रहा है। हां, ये जरूर है कि आतंकियों ने इस तरह के हमले के लिए लंबा होमवर्क यानी रेकी अवश्य की होगी। आतंकी संगठनों की हाइब्रिड विंग से जुड़े लोग, विभिन्न मार्गों के आसपास छिपे रहते हैं। वहां से उन्हें सैन्य मूवमेंट की जानकारी मिल सकती है।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में गुरुवार को आतंकियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला किया था। भारतीय सेना के पांच जवान शहीद हुए हैं। शहादत देने वाले दो जवानों के शवों को क्षत विक्षत करने का प्रयास किया गया। जवानों के हथियार लूटने की बात भी सामने आ रही है, लेकिन अभी आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकी संगठन, जैश-ए-मोहम्मद की जम्मू-कश्मीर में सक्रिय प्रॉक्सी विंग, ‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ (पीएएफएफ) ने ली है। सुरक्षा बलों के अधिकारी के मुताबिक, देखिये इनपुट हो या न हो, फोर्स को तो सर्च आपरेशन करना ही है। आतंकियों को खोजने के लिए सुरक्षा बल रोजाना ही कोई न कोई मूवमेंट करते हैं। जम्मू कश्मीर में विदेशी और स्थानीय, सब मिलाकर लगभग 110 आतंकी मौजूद हैं, उन्हें जल्द से जल्द खत्म करने का प्रयास हो रहा है। ये बात हो सकती है कि पुंछ या राजौरी में घने जंगलों व गुफाओं का फायदा दहशतगर्दों को मिलता है। आतंकियों के सहयोगी, सैन्य मूवमेंट पर लगातार नजर रखते हैं। कई बार सुरक्षा बलों को गलत इनपुट में ट्रैप करने का प्रयास होता है, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिलती।
पीएएफएफ ने जम्मू कश्मीर में ‘जी-20’ की बैठक से कुछ दिन पहले भारतीय सेना के वाहन पर हमला किया था। उसमें पांच जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद राजौरी के कंडी जंगलों में बनी गुफाओं में छिपे आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में भी सेना के पांच जवानों ने शहादत दी थी। इन हमलों में पहले आईईडी ब्लास्ट और फिर घात लगाकर जवानों पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। पीएएफएफ के प्रवक्ता तनवीर अहमद राथर ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली थी। पीएएफएफ ने इन हमलों का एक वीडियो भी जारी किया था। उसमें कहा गया कि वे, सुरक्षा बलों को अपने ट्रैप में फंसा रहे हैं। वे जैसा चाहते हैं, सुरक्षा बलों को वैसा ही करने के लिए मजबूर कर देते हैं।
सूत्रों का कहना है, भले ही सुरक्षा बलों के पास इन आतंकियों की मौजूदगी का इनपुट रहता है, लेकिन उन्हें ट्रैप करना मुश्किल होता है। वजह, वे सामान्य फोन से बातचीत नहीं करते। सुरक्षा बलों को ज्यादातर सूचनाएं मुखबिरों के माध्यम से ही मिलती हैं। मुखबिरों की सूचना को क्रॉस चैक किया जाता है, लेकिन कई बार इंटेल इनपुट, पूरी तरह से स्पष्ट नहीं होता। उस स्थिति में जोखिम या नुकसान की संभावना बनी रहती है।
68 विदेशी यानी पाकिस्तान मूल के आतंकी छिपे हैं
सूत्रों का कहना है कि जम्मू कश्मीर में अब आतंकी संगठनों में वैसी भर्ती नहीं हो पा रही है, जिस तरह कई वर्ष पहले होती थी। आतंकी संगठनों को वहां पर स्थानीय युवा नहीं मिल रहे हैं। पीर पंजाल की गुफाओं सहित जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में लगभग 68 विदेशी यानी पाकिस्तान मूल के आतंकी छिपे हैं। इनके अलावा दो दर्जन से अधिक लोकल दशहतगर्द भी मौजूद हैं। पहले ये आतंकी, आबादी के आसपास हमले को अंजाम देते थे। सुरक्षा बलों के कैंपों पर भी हमला करते थे। अब इनकी रणनीति बदल रही है। ‘लश्कर-ए-तैयबा’ (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) ने जम्मू-कश्मीर में अपने सहयोगी समूह ‘प्रॉक्सी विंग’ खड़े किए हैं। जैश-ए-मोहम्मद की प्रॉक्सी विंग, ‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ (पीएएफएफ) है, जबकि ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ), ‘लश्कर-ए-तैयबा’ की ‘प्रॉक्सी विंग’ है। ये संगठन, एक अंतराल के बाद ही कोई बड़ा हमला प्लान करते हैं। वह हमला, कैंप पर नहीं, बल्कि सुनसान इलाके की किसी सड़क पर किया जाता है। उसमें इन्हें कामयाबी भी मिलती है। इनकी इस रणनीति से सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचता है।
कई वर्षों से घाटी में छिपे हैं दहशतगर्द
जेएंडके में 2022 के दौरान 187 आतंकी मारे गए थे। इनमें से स्थानीय आतंकी 130 थे, जबकि विदेशी आतंकियों की संख्या 57 थी। साल 2021 में 180, 2020 में 221, 2019 में 157 और 2018 में 257 आतंकी मारे गए थे। पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसी आईएसआई, अपने गुर्गे आतंकी संगठनों की मदद से जम्मू कश्मीर में हाइब्रिड आतंकियों की भर्ती कर रही है। घाटी में हाल-फिलहाल में कोई बड़ी घुसपैठ नहीं हुई है। संभव है कि सभी विदेशी आतंकी कई वर्षों से घाटी में कहीं पर छिपे हों। सुरक्षा बलों की वहां तक पहुंच न हो सकी हो। जम्मू कश्मीर पुलिस, आईबी, आर्मी एवं अन्य एजेंसियां आतंकियों के ठिकाने तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं। इन आतंकियों को घाटी में किसी न किसी तरह की मदद तो मिल ही रही है, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता। सीमा पार के आतंकी संगठन, पाकिस्तानी आतंकियों को बचाना चाहते हैं। वे ज्यादा से ज्यादा हाइब्रिड आतंकी तैयार कर रहे हैं। हाइब्रिड आतंकियों की मदद से ही टारगेट किलिंग की वारदात को अंजाम दिया जाता है। सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ की रणनीति, अफगानिस्तान के लड़ाकों की तर्ज पर ट्रेंड हुए टॉप कैडर आतंकियों द्वारा बनाई जाती है।  
                                                                
‘पीएएफएफ’ और ‘टीआरएफ’ का फैला है जाल
‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ (पीएएफएफ) और ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ), इन दोनों ‘प्रॉक्सी विंग’ को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकी संगठनों की सूची में शामिल कर रखा है। इन दोनों समूहों के लिए काम कर रहे ओवर ग्राउंड वर्कर्स को पकड़ने के लिए जम्मू कश्मीर पुलिस और एनआईए सक्रिय है। एनआईए ने आतंकी फंडिंग और ओवर ग्राउंड वर्कर्स की जड़ों तक पहुंचने के लिए कई बार घाटी में छापेमारी की है। इसके तहत कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं। तकनीकी उपकरण भी बरामद किए गए हैं। मौजूदा समय में सौ से अधिक आतंकी सक्रिय बताए जाते हैं। इस वर्ष हुई ज्यादातर मुठभेड़, सामान्य नहीं रही हैं। आतंकी मारे गए हैं, लेकिन उन्होंने सुरक्षा बलों को भी बड़ा नुकसान पहुंचाया है। मारे गए कई आतंकी, अफगानिस्तान के लड़ाकों की तर्ज पर ट्रेंड किए गए थे। उनके पास सुरक्षा बलों की आवाजाही से लेकर कई दूसरे इनपुट तक मौजूद रहे हैं। कोकेरनाग क्षेत्र में छिपे दो आतंकियों तक पहुंचने में सुरक्षा बलों को लंबा वक्त लगा था। आतंकियों ने अपने छिपने के लिए ऐसी लोकेशन तैयार की थी, जहां तक सुरक्षा बलों का पहुंचना, आसान नहीं था। इस तरह की रणनीति स्थानीय आतंकी तैयार नहीं कर सकते। पिछले दिनों राजौरी में दो आतंकी मारे गए हैं, जिनमें से एक पाकिस्तानी आतंकी ‘क्वारी’ भी है। वह पाकिस्तान के आतंकी संगठन ‘लश्कर ए तैयबा’ का हाई रैंक टेररिस्ट था। इस आतंकी को पाकिस्तान/अफगानिस्तान फ्रंट पर ट्रेंड किया गया था। वह ट्रेंड स्नाइपर और आईईडी तैयार करने में भी एक्सपर्ट था। इस वर्ष जेएंडके में जितनी भी बड़ी मुठभेड़ हुई हैं, उनमें ज्यादातर हाई रैंक वाले ट्रेंड आतंकी मारे गए हैं।