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माता गौरा के मायके में मंगलगीतों से अचल सुहाग की कामना
– फोटो : अमर उजाला
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रंगभरी एकादशी मां पार्वती के लिए बेहद खास होगी। बाबा विश्वनाथ जब उनका गौना कराकर शिवधाम लौटेंगे तो मां गौरा स्वर्णमंडित गर्भगृह में पहली बार प्रवेश करेंगी। काशी में रंगों की छठा शिवरात्रि के दिन से ही शुरू हो जाती है, लेकिन बाबा की नगरी में एक दिन ऐसा भी रहता है, जब बाबा खुद अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं।
रंगभरी एकादशी के दिन बाबा की मां गौरा के साथ चल प्रतिमा निकलती है। इसी दिन से काशी में होली की शुरुआत मानी जाती है। बाबा के भाल पर मथुरा के जेल में अरारोट और सब्जियों से कैदियों द्वारा तैयार गुलाल सजेगा।
माता गौरा को ससुराल का नियम समझाया गया
चला हौ गौरा ऊंचे पहड़वा, तोहरा के भोला बोलउले बा… की धुन से माता गौरा का मायका गूंज उठा। महिला श्रद्धालुओं ने माता गौरा को बेटी के रूप में आशीष देकर ससुराल के नियम समझाए। इस दौरान दूसरी तरफ गौना उत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। रंगभरी एकादशी पर तीन मार्च को पालकी यात्रा में बाबा सूरत से आई राजशाही पोशाक पहनकर निकलेंगे तो वहीं माता गौरा अपने गौने पर बरसाने का घाघरा पहनेंगी। बाबा विश्वनाथ का गौरा के मायके में डेढ़ सौ बटुक वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्वागत करेंगे।
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