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प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : social media
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किशोरियां कम वजन तो युवतियां मोटापे से परेशान हैं। दूसरी ओर 10 से 14 वर्ष की बेटियों की औसत लंबाई में कमी देखने को मिल रही है। केजीएमयू में बच्चियों, किशोरियों और युवतियों के लिए बने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के आंकड़े कुछ ऐसी ही तस्वीर पेश कर रहे हैं। वर्ष 2018 से 2022 के दौरान स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आईं 6038 बेटियों के आधार पर तैयार यह रिपोर्ट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंवायरमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित की गई है।
केजीएमयू के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में किशोरियों और युवतियों की समस्याओं को लेकर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तहत विशिष्ट क्लीनिक चलती है। इसमें काउंसिलिंग के साथ इलाज दिया जाता है। जरूरत पड़ने पर उपचार के लिए अन्य विभागों में भी भेजा जाता है।
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जून 2018 से लेकर मार्च 2022 के बीच इस क्लीनिक पर आईं कुल 6038 बेटियों में से 38.37 फीसदी को काउंसिलिंग और 37.53 को इलाज के लिए अन्य विभागों में भेजा गया। आमतौर पर जो समस्याएं देखी गईं, उनमें 46.29 फीसदी को माहवारी, 28.19 प्रतिशत को यौन और प्रजनन संबंधी समस्याएं, 5.19 फीसदी को न्यू्ट्रीशन और 1.67 फीसदी को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं थीं। क्लीनिक पर आने वाली सभी बेटियों के सामान्य टेस्ट किए गए। इनमें लंबाई, वजन, बॉडी मॉस इंडेक्स, बीपी प्रमुख थीं।
रिपोर्ट में इसे 10 से 14, 15 से 19 और 20 से 2 4 वर्ष के तीन समूहों में बांटा गया। इनमें पांच साल के दौरान बेटियों की औसत लंबाई में कमी देखी गई तो औसत वजन बढ़ा मिला। हालांकि, 15 से 19 साल की किशोरियों में कम वजन की समस्या मिली। 20 से 24 साल की युवतियों ने मोटापे की समस्याएं बताईं।
10 से 14 वर्ष की बच्चियों का वजन तो ठीक मिला, लेकिन इनकी औसत लंबाई इन पांच साल के दौरान कम देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार कोविड के दौरान क्लीनिक पर बेटियों की संख्या कम हो गई थी। बाद में आईं बेटियों ने बताया कि कोरोना काल में सेनेट्री नैपकिन से लेकर कई समस्याओं से जूझना पड़ा।
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