[ad_1]
सार
अधिवक्ता और वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सीईसी गठित की गई थी। बंसल ने इस सड़क पर ब्लैक टॉपिंग को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बंसल ने अपनी याचिका में कहा है कि लालढांग-चिल्लरखाल सड़क एक वन्यजीव गलियारे के रूप में काम आती है।

सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : Social Media
ख़बर सुनें
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त केंद्रीय उच्चाधिकार समिति (CEC) ने उत्तराखंड की लालढांग-चिल्लरखाल सड़क के ब्लैक टॉपिंग (तारकोल बिछाने) के खिलाफ रिपोर्ट दी है।
समिति ने कहा है कि इस मार्ग के खासतौर से सिगाड़ी सोत से चमारिया मोड़ तक के हिस्से में तारकोल की सड़क नहीं बनाई जाना चाहिए। यह हिस्सा एक वन्यजीव गलियारे (wildlife corridor) में आता है। सीईसी की रिपोर्ट हाल ही में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गलियारा राजाजी और कार्बेट टाइगर रिजर्व को जोड़ता है और इसका इस्तेमाल बाघ व हाथियों द्वारा किया जाता है।
अधिवक्ता और वन्यजीव संरक्षण कार्यकर्ता गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सीईसी गठित की गई थी। बंसल ने इस सड़क पर ब्लैक टॉपिंग को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बंसल ने अपनी याचिका में कहा है कि लालढांग-चिल्लरखाल सड़क एक वन्यजीव गलियारे के रूप में काम आती है।
राजाजी और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के वन्यजीव आवाजाही के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इसलिए इस गलियारे को सुरक्षित और संरक्षित करना बहुत आवश्यक है। उनका कहना है कि सड़क पर तारकोल या डामर बिछाए जाने से इस कॉरिडोर का प्राकृतिक माहौल खराब होगा। पूर्व में इस सड़क की ब्लैक टॉपिंग नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ से मंजूरी के बाद की गई थी।
[ad_2]
Source link