Save Tree : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- सांस के लिए हांफते शहर में पेड़ों की कटाई अंतिम उपाय हो, DDA को नोटिस

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Delhi High Court said – cutting of trees should be the last resort in a city gasping for breath

delhi high court
– फोटो : ANI

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हाईकोर्ट ने कहा कि सांस के लिए हांफते शहर में पेड़ों की कटाई अंतिम उपाय होना चाहिए। अदालत ने दिल्ली विकास प्राधिकरण और अन्य को वसंत कुंज स्थित एक भूखंड पर पेड़ों की कटाई से रोक दिया है। अदालत ने साथ ही डीडीए व अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने आदेश में कहा कि यदि कोई अन्य वैकल्पिक साइट उपलब्ध है, तो उसे अवश्य देखा जाना चाहिए।

अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख तक प्रतिवादियों को सेक्टर ए पॉकेट्स बी एंड सी, वसंत कुंज, नई दिल्ली में शामिल भूखंड पर भूमि की सफाई और पेड़ों की कटाई से रोक दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई 3 जुलाई तय की है। अदालत ऑल रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीलम अर्पित ब्रांड टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, डीडीए और अन्य को जमीन के टुकड़े पर प्रस्तावित कॉम्प्लेक्स के साथ आगे बढ़ने से रोकने की मांग की गई थी। याचिका में प्रस्तावित परिसर को वैकल्पिक भूखंड पर स्थानांतरित करने की भी प्रार्थना की गई थी।

अग्रिम जमानत सिर्फ असाधारण मामलों में दी जानी चाहिए

दिल्ली की एक अदालत ने संगठित साइबर अपराध में शामिल आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इन्कार करते हुए कहा, अग्रिम जमानत एक असाधारण उपाय है और केवल असाधारण मामलों में दी जानी चाहिए। अवकाशकालीन जज अपर्णा स्वामी ने शिवम कुमार की याचिका को खारिज कर दी और उन्हें जांच में शामिल होने का निर्देश दिया।

जज ने 12 जून के आदेश में कहा, वर्तमान मामले में अग्रिम जमानत देने लायक नहीं है। इस मामले में 600 पीड़ित हैं, जिनके साथ 4.47 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा हुआ। सात राज्यों की साइबर पुलिस ने आरोपी की कंपनी के बैंक खाते सीज करने का नोटिस जारी किया। जज ने कहा, यह एक आर्थिक अपराध है, इसे जमानत के मामले में सख्ती से निपटा जाना चाहिए। मामले को तार्किक अंत तक ले जाने के लिए, इसकी विस्तृत जांच जरूरी है, जो आवेदक/आरोपी से निरंतर पूछताछ पर निर्भर है।

आरोपी ने अग्रिम जमानत मांगते हुए दावा किया था कि वह कंपनी में केवल एक निदेशक है और अपराध में उसकी कोई भूमिका नहीं है। उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। अभियोजन पक्ष ने इसका विरोध करते हुए तर्क दिया कि पीड़ितों से ठगी गई 14 लाख रुपये की राशि अभी तक बरामद नहीं हुई है और साजिश का पता लगाने के लिए उससे हिरासत में पूछताछ की जरूरत है।

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