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Shardiya Navratri 2023 6th Day: नवरात्रि में छठे दिन मां दुर्गा के षष्ठम स्वरुप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. इन्होंने कात्यायन ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और ऋषि कात्यायन ने ही सर्वप्रथम इनका पूजन किया था । इसी कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा. मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, दाहिनी तरफ का ऊ पर वाला हाथ अभय मुद्रा में रहता है तो वही नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है. एक हाथ में मां तलवार धारण करती हैं तो वही दूसरे हाथ में कमल सुशोभित है. इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है. कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती हैं.
मां कात्यायनी की पूजा विधि
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सुबह स्नानादि करके साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें
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मां की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें
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पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें.
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हाथों में सुगन्धित पुष्प लेकर देवी को प्रणाम करें
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मां को श्रृंगार की सभी वस्तुएं अर्पित करें
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रोली व कुमकुम लगाएं.
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पांच प्रकार के फल और मिष्ठान अर्पित करें
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मां कात्यायनी को शहद का भोग जरूर लगाएं.
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देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करें
भोग और प्रसाद
षष्ठी तिथि की देवी मां कात्यायनी को भोगं में शहद पसंद है. इस दिन शुद्ध शहद का भोग लगाकर देवी का पूजन करें. खुद भी किसी न किसी रूप में शहद का सेवन जरूर करें. मां प्रसन्न होकर भक्तों को सुंदर रूप और निरोगी काया का वरदान देती हैं.
निर्णय लेने की शक्ति देती हैं मां कात्यायिनी
धार्मिक मान्यता है कि अपने परिवार को बुराइयों से सुरक्षित करने के लिए, उनमें नई चेतना, नया उमंग-उत्साह और आत्मविश्वास भरने के लिए, नारी में सही निर्णय शक्ति का होना अत्यंत आवश्यक है. अपने अंदर दिव्यता को जाग्रत करने के लिए, जिस शक्ति की हमारे अंदर सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है, वो है निर्णय शक्ति । मां कात्यायनी यह शक्ति प्रदान करती हैं.
पापात्माओं से परिवार की सुरक्षा करती हैं मां
मां कात्यायिनी सर्व अलंकारों से सुसज्जित हैं और पापात्माओं से परिवार की सुरक्षा करती हैं. मां जब एक परिवार का सृजन करती है, उसकी पालना करती है, तो हर प्रकार की बुराइयों से अपने परिवार को सुरक्षित रखने की जिम्मेवारी भी वो खुद की समझती है. वह चाहती हैं कि आज जो हमारे समाज में दूषित वातावरण है, वह अपने परिवार के सदस्यों को उससे दूर रखें. उसके लिए वो हर रीत से उनको प्रोटेक्ट करने के लिए, उन्हें संभालने के लिए, स्वयं को तैयार करती है. दृढ़ता की शक्ति को अपनाकर आत्म विश्वास के साथ परिवार के सदस्यों में भी अगर कोई प्रकार की निराशा आये, उदासी आये, उसको वो दूर करने के लिए वो हर यत्न करती हैं. ऐसी ही हैं मां कात्यायनी.
आरती
जय जय अंबे जय कात्यायनी । जय जगमाता जग की महारानी ।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा ।।
कई नाम हैं कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है।।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी ।।
हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते ।।
कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की ।।
झूठे मोह से छुड़ानेवाली। अपना नाम जपानेवाली ।।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धरियो ।।
हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी ॥
जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
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