Shimla: सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट से तलब की शिमला डेवल्पमेंट प्लान की फाइल

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– फोटो : अमर उजाला

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 शिमला डेवलपमेंट प्लान पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट में लंबित इस मामले की फाइल तलब की है। सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर को आदेश दिए हैं कि हिमाचल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार के लंबित मामलों पर एक साथ सुनवाई की जाएगी। शिमला डेवलपमेंट प्लान को नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने अवैध करार दिया है। इस निर्णय को हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील के माध्यम से चुनौती दी है।

हाईकोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका में दलील दी है कि शिमला शहर और प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण के नियमों में राहत देने के लिए सरकार ने सिटी डेवलपमेंट प्लान तैयार किया है। वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करते हुए सरकार ने विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर यह प्लान 8 फरवरी 2022 को बनाया है। 11 फरवरी 2022 को इस बारे आम जनता से आपत्ति और सुझाव मांगे गए। निर्धारित 30 दिन के भीतर 97 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए। सभी पर टीसीपी विभाग के निदेशक ने सुनवाई की। 16 अप्रैल 2022 को राज्य सरकार ने वर्ष 2041 तक 22,450 हेक्टेयर भूमि के लिए इस प्लान को अंतिम रूप दिया।

यह है शिमला डेवलपमेंट प्लान

एनजीटी ने साल 2017 में शिमला शहर के कोर और ग्रीन एरिया में भवन निर्माण पर रोक लगा दी थी। शहर और प्लानिंग एरिया में सिर्फ ढाई मंजिल भवन निर्माण की छूट थी। सरकार ने इन पाबंदियों से राहत देने के लिए टीसीपी विभाग से नया डेवलपमेंट प्लान तैयार करवाया था। इसमें शहर के कोर और ग्रीन एरिया में पाबंदी हटाने का प्रावधान था। प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिला भवन निर्माण की शर्त भी हटाने का फैसला लिया था। इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी थी। विधि विभाग इसकी अधिसूचना जारी करने वाला था कि इससे पहले ही एनजीटी ने प्लान पर रोक लगा दी थी। बाद में एनजीटी ने इस प्लान को अवैध करार दिया था।

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 शिमला डेवलपमेंट प्लान पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट में लंबित इस मामले की फाइल तलब की है। सुप्रीम कोर्ट ने 14 नवंबर को आदेश दिए हैं कि हिमाचल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार के लंबित मामलों पर एक साथ सुनवाई की जाएगी। शिमला डेवलपमेंट प्लान को नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने अवैध करार दिया है। इस निर्णय को हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील के माध्यम से चुनौती दी है।

हाईकोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका में दलील दी है कि शिमला शहर और प्लानिंग एरिया में भवन निर्माण के नियमों में राहत देने के लिए सरकार ने सिटी डेवलपमेंट प्लान तैयार किया है। वैधानिक कर्तव्य का निर्वहन करते हुए सरकार ने विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर यह प्लान 8 फरवरी 2022 को बनाया है। 11 फरवरी 2022 को इस बारे आम जनता से आपत्ति और सुझाव मांगे गए। निर्धारित 30 दिन के भीतर 97 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए। सभी पर टीसीपी विभाग के निदेशक ने सुनवाई की। 16 अप्रैल 2022 को राज्य सरकार ने वर्ष 2041 तक 22,450 हेक्टेयर भूमि के लिए इस प्लान को अंतिम रूप दिया।

यह है शिमला डेवलपमेंट प्लान

एनजीटी ने साल 2017 में शिमला शहर के कोर और ग्रीन एरिया में भवन निर्माण पर रोक लगा दी थी। शहर और प्लानिंग एरिया में सिर्फ ढाई मंजिल भवन निर्माण की छूट थी। सरकार ने इन पाबंदियों से राहत देने के लिए टीसीपी विभाग से नया डेवलपमेंट प्लान तैयार करवाया था। इसमें शहर के कोर और ग्रीन एरिया में पाबंदी हटाने का प्रावधान था। प्लानिंग एरिया में ढाई मंजिला भवन निर्माण की शर्त भी हटाने का फैसला लिया था। इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी थी। विधि विभाग इसकी अधिसूचना जारी करने वाला था कि इससे पहले ही एनजीटी ने प्लान पर रोक लगा दी थी। बाद में एनजीटी ने इस प्लान को अवैध करार दिया था।



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