Shiv Ji Ki Aarti: ओम जय शिव ओंकारा… इस आरती के पढ़ें बिना अधूरी मानी जाती हैं महादेव पूजा, जानें जरुरी बातें

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Shiv Ji Ki Aarti: भगवान शिव की पूजा और उसके बाद आरती का अत्यंत महत्व है. बिना आरती के पूजा अधूरी मानी जाती है और बिना पूजा के आरती नहीं की जा सकती. हर हिंदू के घर में भगवान की सुबह और शाम दो टाइम आरती की जाती है. यह आरती भक्त रुई की बाती से घी या तेल का दीपक जलाकर या फिर कपूर से करते हैं. भगवान की आरती करते समय पूरा ध्यान भगवान की भक्ति में होना चाहिए. घी की ज्योति को आत्मा की ज्योति समझ कर आरती करना चाहिए. एक दिन में एक से पांच बार आरती की जा सकती है. वहीं घर में सुबह और शाम, दो बार आरती की जाती है. मान्यता के अनुसार आरती करने से पहले, भगवान शिव को नमस्कार करके तीन बार पुष्प अर्पित करें. उसके बाद आरती करें. आरती हमेशा दोनों हथेलियों से लेनी चाहिए.

Shiv Aarti: शिवजी की आरती 1

॥ श्री शिवशंकरजी की आरती ॥

हर हर हर महादेव!

सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी।

अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥

हर हर हर महादेव!

आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी।

अमल, अरूप, अगोचर, अविचल, अघहारी॥

हर हर हर महादेव!

ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर तुम त्रिमूर्तिधारी।

कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी॥

हर हर हर महादेव!

रक्षक, भक्षक, प्रेरक, प्रिय औढरदानी।

साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी॥

हर हर हर महादेव!

मणिमय-भवन निवासी, अति भोगी रागी।

सदा श्मशान विहारी, योगी वैरागी॥

हर हर हर महादेव!

छाल-कपाल, गरल-गल, मुण्डमाल व्याली।

चिता भस्मतन त्रिनयन, अयनमहाकाली॥

हर हर हर महादेव!

प्रेत-पिशाच-सुसेवित, पीत जटाधारी।

विवसन विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी॥

हर हर हर महादेव!

शुभ्र-सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी।

अतिकमनीय, शान्तिकर, शिवमुनि मन-हारी॥

हर हर हर महादेव!

निर्गुण, सगुण, निरञ्जन, जगमय नित्य प्रभो।

कालरूप केवल हर! कालातीत विभो॥

हर हर हर महादेव!

सत्‌, चित्‌, आनन्द, रसमय, करुणामय धाता।

प्रेम-सुधा-निधि प्रियतम, अखिल विश्व त्राता॥

हर हर हर महादेव!

हम अतिदीन, दयामय! चरण-शरण दीजै।

सब विधि निर्मल मति कर, अपना कर लीजै॥

हर हर हर महादेव!

Shiv Aarti: श्री शिवजी की आरती 2

॥ शिवजी की आरती ॥

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

इन बातों का रखें ख्याल

देवों के देव महादेव की पूजा करने के दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है. शिवलिंग पर भांग, धतूरा, चंदन, दूध, बेलपत्र आदि जैसी सामग्रियां चढ़ाना शुभ माना जाता है. लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जो गलती से भी शिवलिंग पर चढ़ाने पर भगवान शिव नाराज हो जाते है. केतकी के फूल, हल्दी, तुलसी पत्ता, नारियल पानी भूल से भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए. इससे भगवान शिव नाराज हो जाते हैं और आपको पूजा का फल नहीं मिलता.

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