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श्रद्धा वॉकर, आफताब
– फोटो : सोशल मीडिया
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उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल के अधिकारियों को श्रद्धा वाकर हत्याकांड के आरोपी आफताब पूनावाला को जेल नियमों के अनुसार दिन के उजाले के दौरान आठ घंटे के लिए एकांत कारावास से बाहर रखने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया ने पूनावाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि पूनावाला को खतरे की आशंका को देखते हुए उन्हें रात में वापस उनकी कोठरी में बंद कर दिया जाना चाहिए।
पूनावाला ने यह तर्क देते हुए अदालत का रुख किया कि सुरक्षा खतरों से बचाने की आड़ में जेल अधिकारी उन्हें दिन में 22 घंटे एकांत कारावास में रख रहे हैं।उनके वकील ने अदालत को बताया कि भले ही ऐसे अन्य कैदियों को दिन में आठ घंटे के लिए अनलॉक किया गया था, लेकिन पूनावाला को केवल सुबह एक घंटे और शाम को एक घंटे के लिए बाहर जाने दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह मार्च 2023 से एकांत कारावास में है, हालांकि उन्होंने जेल में कोई अपराध नहीं किया है।
दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संजय लाओ ने कहा कि पूनावाला को खतरे की आशंका के कारण सुरक्षा जेल में रखा जा रहा है। लाओ ने कहा कि पूनावाला पर उस समय हमला किया गया जब उन्हें फोरेंसिक लैब ले जाया जा रहा था और ट्रायल कोर्ट ने आदेश दिया था कि उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए। अदालत ने दलीलों पर विचार करते हुए कहा चूंकि यह पूनावाला का स्वयं का अनुरोध है कि उसे एकांत कारावास से बाहर जाने दिया जाए इसलिए उसे दिन में आठ घंटे के लिए खुला रखा जाना चाहिए।
पूनावाला पर अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वॉकर की हत्या का आरोप लगा है। उनके खिलाफ सबूतों को गायब करने के लिए धारा 201 के तहत अपराध के लिए भी आरोप तय किए गए हैं। मोबाइल डेटिंग ऐप बम्बल पर मुलाकात के बाद पूनावाला और वॉकर लिव-इन रिलेशनशिप में आ गए थे। 2022 में दिल्ली स्थानांतरित होने से पहले वे शुरुआत में मुंबई से बाहर थे। जांच कर रही पुलिस के अनुसार पूनावाला ने 18 मई, 2022 को महरौली के एक फ्लैट में वाकर से लड़ाई के बाद उसकी हत्या कर दी।
आरोप है कि उसने वॉकर का गला घोंट दिया, उसके शरीर को 35 टुकड़ों में काट दिया, उसे फ्रिज में रख दिया और बाद में अगले 18 दिनों में टुकड़ों को शहर के विभिन्न हिस्सों में फेंक दिया। उच्च न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में मामले की जांच दिल्ली पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका खारिज कर दी थी।
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