Side Effect : मास्क ने थामी इम्युनिटी की डोर, बदले वायरस के हमले से शरीर हुआ बेदम, जांच करेंगे विशेषज्ञ

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The mask held the door of immunity, the body became breathless due to virus attack

प्रतीकात्मक तस्वीर

विस्तार

मास्क ने कोरोना से भले ही सुरक्षित रखा, लेकिन लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता स्थिर रही जबकि मौसमी बीमारी से जुड़े वायरस आबोहवा में अपना रूप बदलते रहे। ऐसे में मास्क हटने के बाद शरीर बदले वायरस से लड़ने में सक्षम नहीं हो पा रहा है। यहीं कारण है कि पिछले तीन माह में लोग मौसमी बीमारी के चपेट में आने के बाद गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं। इन्हें ठीक होने में महीनों का समय लग रहा है।

ठीक होने के बाद भी थकान, कमजोरी सहित अन्य परेशानियां घर कर रही है। विशेषज्ञों की राय है कि ऐसे लक्षण पहली बार देखने को मिल रही है। बदलते वायरस से बढ़ी परेशानी आने वाले दिनों में और गंभीर होने की आशंका है। ऐसे में इससे बचाव के लिए व्यापक स्तर पर शोध करने की जरूरत है, इससे समस्या का समाधान निकालने में मदद मिल सकेगी।

हो सकती है गले में सूजन

मौसमी बीमारी ठीक होने के बाद भी कुछ लक्षण आ सकते हैं। बुखार, खांसी ठीक होने के बाद देखा जा रहा है कि गले में सूजन देखी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि सांस का रास्ता संवेदनशील होता है। कई बार खाना, मौसम का बदलाव, प्रदूषण, बदहजमी, सहित अन्य कारणों से गले में सूजन हो सकती है। यह कुछ समय के लिए या लंबे समय तक हो सकती है। इसकी रोकथाम के लिए समय पर उपचार करवाने की जरूरत है। ऐसे में तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए।

हो सकता है कुछ और

यदि किसी मरीज को लंबे समय तक खांसी रहती है। तो जांच करवानी चाहिए, हो सकता है कि यह एलर्जी या कुछ और हो। ऐसे में जांच करने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि खांसी क्यों हो रही है। कुछ ब्लड टेस्ट व एक्सरे से काफी हद तक स्पष्ट हो सकता है।

यह होती हैं परेशानियां

  • खांसी/गंभीर खांसी
  • बुखार
  • सांस लेने में दिक्कत

80 फीसदी हुए वायरल से पीड़ित

आकाश अस्पताल में पल्मोनरी विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर अक्षय बुद्धिराजा ने कहा कि पिछले तीन माह में लगभग 80 फीसदी लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मौसमी बीमारी के चपेट में आए हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों में पोस्ट वायरल कप देखा जा रहा है। इनकी आगे की जांच करने की जरूरत होती है। हो सकता है कि वायरस इंफेक्शन के बाद बैक्टीरिया से इंफेक्शन भी हुआ हो। ऐसे मरीजों के फेफड़ों में पानी भरना, टीबी के लक्षण दिखना, निमोनिया होना जैसे लक्षण हो सकते हैं। यह छोटे बच्चों को ज्यादा हो सकता है। उनकी इम्यूनिटी मां पर निर्भर होती है।

मौसम ने भी बदला अपना रूप

डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पुलिन गुप्ता ने कहा कि इस बार मौसम ने भी अपना रूप बदला है। असमय बारिश, धूल का उड़ना फिर गर्मी से मौसमी बीमारी मजबूत हुई। इसके अलावा अन्य कारणों से भी समस्या बढ़ी है। मौसमी बीमारी पहले भी होती रही है। हालांकि इनके लक्षण मध्यम होते थे, लेकिन इस बार गंभीर दिखे हैं।

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