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कसौली में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार।
– फोटो : संवाद
विस्तार
हिमाचल प्रदेश के दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए आपातस्थिति में वैक्सीन और सीरम ड्रोन तकनीक से पहुंचाई जाएगी। इसके लिए सीआरआईकसौली को आधुनिक तकनीक से ट्रायल करने के लिए कहा है, ताकि आधुनिकता के दौर में इस तकनीक में भी संस्थान नए आयाम स्थापित कर सके। इसकी रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश सीआरआई संस्थान के निदेशक को दिए हैं। प्रदेश सरकार को भी इस तकनीक को अपनाने का आग्रह केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने किया है। वे केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली में मंगलवार को 119वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि पहुंचीं थीं। उन्होंने इस दौरान सीआरआई के कार्यों की प्रशंसा भी की।
उन्होंने कहा कि ऋषिकेश एम्स में ड्रोन तकनीक से पहाड़ी क्षेत्रों में दवाइयां पहुंचाने में सफलता हासिल कर ली है। इसी को देखते हुए हिमाचल में भी इसे जल्द लागू किया जाना चाहिए। मंंत्री डॉ. भारती ने कहा कि ऋषिकेश में ऐसे पहाड़ी क्षेत्र जहां पर दवाइयां पहुंच पाना बहुत कठिन था, वहां पर क्षय रोगियों को ड्रोन तकनीक से दवाइयां घर तक दी गई हैं। इसी प्रकार हिमाचल भी एक पहाड़ी क्षेत्र है और यहां पर दूरदराज के क्षेत्रों में लोग रहते हैं। जहां पर जाने के लिए लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यहां से बीमार व्यक्ति को ले जाने में काफी दिक्कत आती है। ऐसे में यहां पर इस तकनीक का एक अच्छा प्रयोग किया जा सकता है। डॉग और स्नेक बाइट के मामले जब आते हैं तो इस आपातस्थिति में वैक्सीन देना आवश्यक होता है। ऐसे में सीआरआई कसौली ड्रोन तकनीक के माध्यम से वैक्सीन और सीरम लोगों तक पहुंचाए।
इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के मार्गदर्शन में मेडिकल कॉलेजों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। 2014 से पहले यह आंकड़ा 387 था लेकिन अब यह बढ़कर 655 हो चुका है। वहीं, हिमाचल के बिलासपुर में एम्स और इसके अलावा तीन नए मेडिकल कॉलेज खुल गए हैं। बल्क फार्मा पार्क ऊना और मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत जी 20 देशों की बैठक में भारत हमेशा अच्छा संदेश देता है। भारत पिछले कुछ समय से जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। विश्व में हम संदेश दे रहे हैं कि हमारी संस्कृति सेवा है और भारत हमेशा सेवा भाव के साथ कार्य करता है।
ई-संजीवन में 10 करोड़ से अधिक लोगों को दिया परामर्श
ई-संजीवनी योजना के तहत भारत में घर बैठे लोग परामर्श ले रहे हैं। अब तक 10 करोड़ से भी अधिक लोगों ने ई-संजीवनी के उपयोग से घर बैठे ही चिकित्सकों से ऑनलाइन परामर्श का लाभ उठाया है।
लोगों की बन रही डिजिटल हेल्थ आईडी
भारत में 40 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। जब मरीज बीमार होता है तो वह किसी भी राज्य में आयुष्मान कार्ड दिखाकर स्वास्थ्य लाभ उठा सकता है। मंत्री डॉ. भारती ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल तकनीक के साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया है। स्वास्थ्य संस्थानों में भी अच्छी सुविधाएं देने के लिए कार्य किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं को भी तकनीकों के साथ जोड़ा गया है। इसके तहत डिजिटल हेल्थ आईडी बनाई जा रही है। इस आईडी के माध्यम से मरीज का सारा डाटा जहां वह स्वास्थ्य लाभ ले रहा है, उस चिकित्सक के पास चला जाएगा। इससे कागजी कार्य भी कम हो जाएगा।
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