Sonebhadra: कोर्ट ने कर दिया ‘रिहा’, फिर भी अघोषित सजा काट रहे 70 बंदी; पढ़ें- क्या है पूरा मामला?

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Court has 'released', still 70 prisoners are serving undeclared sentence What is the whole matter?

Sonebhadra district jail
– फोटो : संवाद

विस्तार


जिला जेल में 70 बंदी-कैदी अघाेषित’ सजा काट रहे हैं। कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दे दिया है, बावजूद वह बाहर नहीं आ पा रहे। कोई हफ्तों तो कोई महीनों से बाहर निकलने का इंतजार कर रहा है। उनके जमानतदार की व्यवस्था चुनौती बनी हुई। गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण परिजन उनके लिए जमानतदार नहीं ढूंढ पा रहे, नतीजा जेल की दीवारों के पीछे ही उनकी जिंदगी कैद होकर रह गई है। ऐसे कैदियों की बढ़ती संख्या जेल प्रशासन के लिए भी परेशानी खड़ी कर रही है।

वर्ष 2016 से संचालित सोनभद्र जिला जेल में साढ़े पांच सौ बंदियों को रखने की क्षमता है। वर्तमान में इसमें दोगुने से ज्यादा बंदी-कैदी निरुद्ध हैं। इनमें भी 70 ऐसे हैं, जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। कोर्ट से उनकी रिहाई का आदेश भी हो चुका है, बावजूद जमानतदार का इंतजाम न कर पाने के कारण वह जेल में ही रहने को विवश हैं। किसी को 25 से 50 हजार तक की हैसियत वाले जमानतदार चाहिए तो किसी को एक लाख से भी अधिक के जमानतदार की तलाश है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें इतनी राशि के जमानतदार नहीं मिल रहे। नतीजा कोर्ट से रिहाई के महीनों बाद भी वह जेल से बाहर नहीं आ पा रहे। कुछ तो ऐसे भी हैं, जिनकी रिहाई का आदेश हुए साल भर होने को है। जेल में ऐसे बंदियों की बढ़ती संख्या जेल प्रशासन के लिए भी चुनौती बन रही है। पहले से ही क्षमता से अधिक बंदियों-कैदियों के बीच ऐसे लोगों को रखने में दिक्कतें आ रही हैं।

इसलिए भी नहीं मिल रहे जमानतदार

जमानतदार न मिलने के पीछे आर्थिक स्थिति तो मुख्य कारण है ही है, इसके अलावा भी कुछ बंदियों को जानबूझकर बाहर निकालने से परिजन कतरा रहे हैं। इसके पीछे उनकी अपराध की आदत को कारण बताया जा रहा है। चोरी-छिनैती, गांजा-हेरोइन की तस्करी जैसे अपराधों में सजा काटने वालों से परिजन भी पीछा छुड़ाने चाहते हैं। बाहर आने के बाद कई बार वह फिर उसी अपराध में लिप्त हो जाते हैं और कुछ दिन बाद फिर पकड़ लिए जाते हैं। उनकी रिहाई कराने, पुलिस-कचहरी तक चक्कर काटने में परिजनों को पैसे के साथ अतिरिक्त परेशानी झेलनी पड़ती है। वहीं दूसरी ओर ऐसे अपराध में लिप्त लोगों के जमानतदार दूसरे लोग बनना भी नहीं चाहते।

क्या है जमानत बांड

जमानत बांड या बेल बांड एक कानूनी दस्तावेज होता है, जो एक व्यक्ति को जेल से रिहा करने के लिए जरूरी होता है। यह एक तरह का सुरक्षा प्रमाणपत्र होता है जिसका उपयोग उस व्यक्ति की जमानत के रूप में किया जाता है। जब जमानत बांड जमा किया जाता है तो उसमें लिखित धनराशि, संबंधित नियमों और शर्तों का पालन करने का वादा और अन्य संबंधित जानकारी दी होती है। अगर व्यक्ति नियमित रूप से न्यायिक प्रक्रिया में शामिल नहीं होता है तो जमानत बांड खत्म हो जाता है और व्यक्ति को फिर जेल भेजा जा सकता है।

जेल में करीब 70 बंदी ऐसे हैं, जिनकी जमानतदार न मिलने से रिहाई नहीं हो पा रही। इनके बारे में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पत्र लिखकर अवगत कराया जाता है। प्राधिकरण ही इनकी जमानत राशि में संशोधन या छूट सहित अन्य अन्य विकल्पों पर निर्णय ले सकता है। -सौरभ श्रीवास्तव, जेल अधीक्षक।

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