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ट्रेड फेयर
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
दिल्ली ट्रेड फेयर में ऋषिकेश के स्टोन और पहाड़ों में पैदा होने वाली जैविक दालें उड़द, लोबिया, काली, सफेद भट, नौरंगी, तोर की खूब मांग है। रामझूला के पास की रत्नों की दुकानें मौजूदा समय प्रगति मैदान में हैं। मोती, पन्ना, मानिक, गोमेद, हीरा, मूंगा, लहसुनिया, पद्मराग और नीलम जैसे रत्नों को लोग शारीरिक व मानसिक लाभ के लिए खरीद रहे हैं। अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई के चाहने वाले इसे ढूंढते हुए स्टाल पर आ रहे हैं।
उत्तराखंड पवेलियन में 36 स्टॉल हैं, जिसमें हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, चम्पावत, चमोली और टिहरी जिलों के हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पादों की भरमार है। राज्य पर्यटन, खादी बोर्ड और औद्योगिक बोर्ड के अलग स्टाल हैं। उत्तराखंड हथकरघा व हस्ताशिल्प विकास परिषद का हिमाद्रि स्टॉल भी है। इसके अलावा इसमें दिसंबर में हुई उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की झलक भी देखने को मिलेगी।
लोई शॉल, ऊनी कपड़े आर्कषण का केंद्र
हरिद्वार की लोई शॉल, ऊनी कपड़े आगंतुकों के लिए आर्कषण का केंद्र है। लोहाघाट की लोहे की कड़ाही व अन्य वस्तुएं मजबूत और आधुनिक जरूरतों के लिहाज से उपलब्ध हैं। दुकानदारों ने बताया, सालों से लोहाघाट के मंगलेख गांव में लोहे की खान से कच्चा माल लेकर ये सामान तैयार करते, अब कानपुर से लोहा आता है और सामान तैयार होता है। इनकी गुणवत्ता में कोई कमी नहीं मिलेगी। रिंगाल (बांस की टोकरी), कुमाऊं की मूंज घास से निर्मित मूर्तियां, बिच्छू घस से बनी जैकेट भी खस हैं।
मिठास घोल रही अल्मोड़ा की बाल मिठाई
अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई हजारों लोगों के मुंह में मिठास घोल रही। खोया, चीनी और खसखस से बनी ये मिठाई एक महीना चलेगी। मेले में हर दिन ताजी मिठाई आ रही। दिल्ली में रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों के अलावा दूसरे राज्यों के लोग भी इसे खरीद रहे। इसके अलावा यहां आंवला लड्डू, खुमानी पापड़ जैसे ढेरों खाद्य उत्पाद उपलब्ध हैं।
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