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तुंगनाथ
– फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
विस्तार
करीब 1000 साल पुराने दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ मंदिर के कुंड अपने स्थान से खिसक रहे हैं। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने प्राथमिक सर्वेक्षण के बाद इस बात को स्वीकार करते हुए इसे संरक्षित करने के लिए अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना पर आपत्तियां लेने को दो माह का समय दिया गया है। वहीं, देहरादून सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् मनोज कुमार सक्सेना ने मंदिर के 10 डिग्री झुकाव की खबरों को खंडन करते हुए कहा कि यह कितना झुका है, इसका किसी स्ट्रक्चरल इंजीनियर से अध्ययन नहीं हुआ है।
वर्ष 2017 में राज्य सरकार ने केंद्र को तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण के संबंध में प्रस्ताव भेजा था। केंद्र सरकार (संस्कृति मंत्रालय) के निर्देश पर तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. पटेल ने वर्ष 2018 में मंदिर का निरीक्षण किया। उन्होंने मंदिर की स्थिति में सुधार की जरूरत बताई थी। कुछ समय पहले केंद्र ने मरम्मत संबंधी कार्यों पर मुहर लगाते हुए प्रस्ताव तैयार करने को कहा था। इस प्रस्ताव के आधार पर संस्कृति मंत्रालय ने 29 मार्च को तुंगनाथ मंदिर को संरक्षित करने के लिए अधिसूचना जारी की थी जो कि भारतीय पुरातत्व विभाग को अप्रैल माह में मिली।
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