Umesh Pal Murder: आजमगढ़ में गनर संदीप पंचतत्व में विलीन, मुखाग्नि के बाद फफक पड़े पिता, रो पड़े लोग

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प्रयागराज में विधायक राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह उमेश पाल की सुरक्षा के दौरान शहीद हुए गनर संदीप निषाद (28) का शव शनिवार देर रात उनके गांव आजमगढ़ के बिसईपुर पहुंचा। शव गांव में पहुंचते ही परिजनों में कोहराम मच गया। पत्नी रीमा बेसुध हो गई, जबकि बेटे की मौत पर मां का कलेजा फटा जा रहा था। दूसरी ओर, गांव वाले गम के समय पीड़ित परिवार को संभालने में लगे रहे। कोशिश थी कि परिवार को किसी तरह समझा कर संभाला जाए। मगर, कोशिशें काम नहीं आ रही थीं। हृदय विदारक रुदन से हर किसी की आंख नम और गला रुंध जा रहा था।

सुबह शव यात्रा निकाले जाने के पहले बड़ी संख्या में लोगों ने परिवार में से एक सदस्य को नौकरी दिए जाने की मांग और घर तक जाने वाली सड़क बनवाने की मांग को लेकर धरना भी दिया। क्षेत्रीय सांसद ने घर तक रास्ता और अधिकारियों ने अन्य सुविधाएं मुहैया कराने का वादा किया तो सिपाही का शव अंतिम संस्कार के लिए दुर्वासा धाम रवाना हुआ।  जब तक सूरज चांद रहेगा, संदीप तेरा नाम रहेगा के नारे से पूरा गांव गूंज उठा। दुर्वासा घाट पर पर गार्ड ऑफ ऑनर के बाद सिपाही के पिता ने मुखाग्नि दी तो फफक उठे। वहां मौजूद हर शख्स के आंखों में भी आंसू आ गए। अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे। 



प्रयागराज में पोस्टमार्टम के बाद शव वहां से शहीद सिपाही संदीप निषाद के पैतृक आवास लिए रवाना हुआ। रात 10 बजे के बाद शव गांव पहुंचा। जिसके बाद परिजनों के साथ ही ग्रामीणों में कोहराम मच गया। रविवार सुबह शव यात्रा से पहले उच्चाधिकारियों को गांव बुलाए जाने की मांग पर परिजन व ग्रामीण अड़ गए। 


गांव के लिए रास्ते का आभाव व अन्य सुविधाएं मुहैया न होने से गांव के लोग आक्रोशित थे और अधिकारियों को मौके पर बुला कर गांव की यथा स्थिति दिखाना चाहते थे। एसओ अहरौला मौके पर मौजूद थे, लेकिन परिजन उनकी बात मानने को तैयार नहीं थे। 


सीओ महेंद्र शुक्ला भी मौके पर पहुंचे और परिजनों व ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया लेकिन ग्रामीण व परिजन नहीं माने। अंत में एएसपी शैलेंद्र लाल मौके पर पहुंचे और सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराने व अन्य मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही मौके पर पहुंची क्षेत्रीय सांसद संगीता आजाद ने मुख्य मार्ग से गांव तक के रास्ते को बनवाने का आश्वासन दिया। 


दुर्वासा घाट पर शहीद सिपाही संदीप का शव पहुंचा तो वहां पुलिस विभाग के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद शहीद सिपाही के पिता ने दिन में लगभग 12 बजे संदीप के शव को मुखाग्नि दी। मुखाग्नि के पूर्व तक जब तक सूरज चांद रहेगा, संदीप तेरा नाम रहेगा जैसे गगन भेदी नारों से पूरा घाट गुंजायमान रहा।


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