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दिल्ली से मेरठ में सलाखों तक याकूब को वीआईपी सुविधा दी गई, खातिरदारी की गई और पुलिसकर्मी उनके साथ सेल्फी लेते रहे। करीब 10 घंटे पुलिस कस्टडी में रहने के दौरान कहीं ऐसा नहीं लगा कि यह वही हैं, जिनकी तलाश में पुलिस और एसटीएफ 9 महीने से दबिश दे रही थी।
याकूब की खातिरदारी करती दिखी पुलिस
याकूब को पुलिस ने दवाई दिलवाई। मेरठ तक याकूब के साथ उनके समर्थक और रिश्तेदार आठ गाड़ियों से मेरठ आए। पुलिस पिता-पुत्र को खरखौदा थाने लाई। सुबह दस बजे उन्हें कोर्ट लेकर पहुंची। इस दौरान सादी वर्दी में पुलिस वाले याकूब की खातिरदारी में लगे रहे। पुलिस वालों के याकूब-इमरान के साथ कई फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। फरारी के दौरान भी हर जगह याकूब की पत्नी संजीदा बेगम, बेटे इमरान की पत्नी और उनके बच्चे भी साथ में रहते थे। दिल्ली हो या मुंबई, वह आलीशान कोठियों में रुके।
याकूब का जेल से पुराना नाता, इमरान पहली बार गया जेल
याकूब और इमरान की पुलिस ने गिरफ्तारी की या फिर उन्हें सेटिंग से पकड़ा गया। इसे लेकर पुलिस विभाग में अलग-अलग चर्चा है। याकूब और इमरान के चेहरे पर गिरफ्तारी की कोई भी शिकन नहीं थी। बता दें कि मेरठ से सिर्फ एक दरोगा और चार सिपाही ही दिल्ली गए हुए थे, जिन्होंने पिता-पुत्र को गिरफ्तार किया है। याकूब का पुलिस और जेल से पुराना नाता है। करीब 20 साल पहले याकूब कुरैशी और पूर्व सांसद शाहिद अखलाक के बीच नगर निगम में ठेकेदारी को लेकर विवाद हुआ था। गोलीबारी में एक युवक की हत्या हुई थी, जिसमें याकूब जेल गए थे। हालांकि बाद में याकूब को क्लीन चिट मिल गई थी, लेकिन इमरान पहली बार ही जेल में गया है। पिता-पुत्र के जेल जाने के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।
याकूब से बोला इमरान, अब्बू दरवाजा खोल दें…अब चलना पड़ेगा
बकौल पुलिस, इमरान ने पिता याकूब के कमरे का दरवाजा खटखटाया और कहा कि अब्बू बाहर आ जाओ, अब चलना पड़ेगा। इतना कहते ही याकूब ने दरवाजा खोल दिया और वह सर्दियों वाले कपड़े पहनने लगे। पुलिसवालों से बोले, चलो, वक्त-वक्त की बात है।
2019 का चुनाव लड़ना महंगा पड़ा: याकूब कुरैशी
पुलिस के मुताबिक, याकूब ने कहा कि 2019 का लोकसभा का चुनाव लड़ना महंगा पड़ा है। राजनीति के तहत मुझे और मेरे परिवार के खिलाफ साजिशन मुकदमा दर्ज कराया गया है। मीट फैक्टरी में मुझे गए कई महीने हो गए थे। अब मेरा फैक्टरी से कोई लेना देना नहीं है। मेरी पत्नी को भी नामजद कराया है। कुछ लोग हमारे परिवार के पीछे पड़े हैं। छह महीने तक मेरी अर्जी पर सुनवाई नहीं हुई। मेरा काफी नुकसान हो गया है। मुझे कानून पर भरोसा है, न्याय मिलेगा।
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