[ad_1]
ग्रामीणों के मुताबिक, 16 से 24 फरवरी तक गांव में लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का आयोजन किया गया था। बृहस्पतिवार करीब एक बजे कलश यात्रा निकलनी थी। कलश यात्रा के लिए महिलाएं जल भरने जाने वाली थी। यात्रा में शामिल होने के लिए दो हाथी और दो ऊंट किराए पर लाए गए थे। मौके पर पंडाल में एक हजार से अधिक लोग जमा थे। लेकिन, इसी बीच महायज्ञ में गजराज ने ऐसा तांडव मचाया कि सब तहस नहस हो गया। यज्ञ को बंद कर दिया गया।
शादी के 12 साल बाद हुआ था बेटे का जन्म
हादसे में मरा कृष्णा मां-बाप का एकलौत संतान था। परिवार के लोगों ने बताया कि मृतक कृष्णा की मां पूजा की शादी के 12 साल बाद उन्हें बच्चा हुआ था। बाद में उसकी मां को कुछ दिक्कत हो गई थी। जिसके बाद ऑपरेशन करके उनकी बच्चेदानी निकाल दी गई थी। तीन दिन पहले मां और बेटा ननिहाल आए थे। 3 महीने पहले इसी मंदिर पर कृष्णा का मुंडन संस्कार हुआ था। जहां पर ये घटना घटी है।
वृंदावन, मथुरा और हरिद्धार से 51 वैदिकचार्य बुलाए गए थे
आयोजन समिति के सदस्य हनुमान यादव के अनुसार यज्ञ में अयोध्या, वृंदावन, मथुरा, हरिद्धार समेत कई जगहों से 51 वैदिकचार्य भी पहुंचे थे। घटना के बाद दूसरे हाथी को गांव से वापस भेज दिया गया।
एक नजर में घटनाक्रम
- दोपहर 1.30 बजे: भीड़ के बीच अचानक हाथी बिदक गया और हमलावर हो गया।
- दोपहर 1.40 बजे: हाथी नदी की ओर जाने लगा और तीन लाश देखकर चीख पुकार मच गई।
- दोपहर 2.5 बजे: पुलिस मौके पर पहुंच गई और फिर अफसरों को घटना की जानकारी दी गई।
- दोपहर 2.30 बजे: एसपी नार्थ मनोज अवस्थी पहुंचे और फिर वन विभाग को भी सूचना दी गई।
- शाम 4 बजे: वन विभाग की टीम पहुंची और फिर पुलिस वाले महावत भी तलाशने लगे।
- शाम 5 बजे: खेत में पहुंचे हाथी को काबू करने के लिए आठ से अधिक महावत पहुंचे गए।
- शाम 5.30 बजे: वन विभाग के डॉ. योगेश ने गन से बेहोश करने की कोशिश शुरू की।
- शाम 6.30 बजे: हाथी बेहोशी के हाल में आ गया और फिर रस्सी बांधा गया।
- शाम 7 बजे: बाघ में ले जाकर उसे बांध दिया गया।
[ad_2]
Source link