UP News: आलू संकट के लिए पंजाब की गैर प्रमाणिक किस्में भी बनीं जिम्मेदार, उत्पादन ज्यादा हुआ पर गुणवत्ता कम रही

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प्रतीकात्मक तस्वीर

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– फोटो : पिक्साबे

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यूपी में आलू संकट के लिए पंजाब की ऐसी किस्में भी जिम्मेदार रहीं जो गैर प्रमाणिक थीं। इन किस्मों से यूपी में आलू उत्पादन तो खूब हुआ पर गुणवत्ता इनकी अच्छी नहीं थी। ऐसे में इन किस्मों को बाहर के खरीदारों ने पसंद नहीं किया और स्थानीय बाजार में अधिकता के कारण दाम कम हो गया। उद्यान विभाग ने किसानों से कहा है कि प्रमाणिक और अच्छी किस्म के बीज बोएं ताकि फसल एवं लाभ दोनों ही बेहतर हो सके।

उद्यान विभाग के उपनिदेशक (आलू) धर्मपाल यादव के मुताबिक इस बार आलू संकट में एक प्रमुख कारण यह भी रहा कि पंजाब की हाईब्रिड किस्म 301 यूपी में खूब बोई गई। यह किस्म यहां प्रमाणिक नहीं है। इस बीज का उत्पादन ज्यादा है और इस आलू में पानी का प्रतिशत ज्यादा होता है।

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इस आलू की बाजार में स्थिरता और दाम दोनों ही कम है। मांग ज्यादा होने के कारण अगैती फसल के रूप में तो यह फिर भी चल जाता है, लेकिन इस बार बारिश होने के कारण आलू की बोआई देर से हुई। ऐसे में अगैती और सही समय पर आने वाला आलू एक साथ बाजार में आया। परिणाम यह रहा कि आलू का दाम गिरा।

उन्होंने बताया कि किसान कुफरी बहार, कुफरी चिपसोना, कुफरी संगम, कुफरी सदाबहार, कुफरी सिंदूरी, कुफरी कंचन आदि किस्में बोएं तो उनका उत्पादन भले ही थोड़ा कम हो सकता है पर दाम बेहतर मिलता है। इस समय निर्यातक इन किस्मों को ही पसंद कर रहे हैं, इनमें दाम भी अच्छे मिल रहे हैं। मालूम रहे कि आलू के दाम इस बार बाजार में गिरे तो सरकारी खरीद के लिए सरकार को इंतजाम करने पड़े। हाफेड ने सात और मंडी परिषद ने 19 जिलों में आलू खरीद केंद्र शुरू करवाए।

केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मेरठ के संयुक्त निदेशक डॉ. मनोज कुमार का कहना है कि पंजाब की ऐसी कई क्लोन किस्में हैं, जिनकी कोई प्रमाणिकता नहीं है। सिर्फ उत्पादन ज्यादा होता है तो किसान आकर्षित हो जाते हैं। किसानों को चाहिए कि वे अपने प्रदेश की प्रमाणिक किस्मों को ही बोएं। इसी से उनका लाभ है। ऐसी क्लोन किस्में केवल नुकसान करती हैं, लाभ नहीं।

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