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उत्तर प्रदेश में निवेश करने वाली औद्योगिक इकाइयों को वित्तीय इन्सेंटिव के रूप में राज्य माल एवं सेवा कर (एसजीएसटी) की 90 प्रतिशत राशि की प्रतिपूर्ति तुरंत की जाएगी। औद्योगिक विकास विभाग ने एसजीएसटी की गणना के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित की है।
औद्योगिक इकाइयों से उनके उत्पाद की बिक्री पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की वसूली होती है। जीएसटी में (सीजीएसटी और एसजीएसटी का अंश 50-50 फीसदी होता है।) योगी सरकार ने अपनी विभिन्न सेक्टर की औद्योगिक निवेश नीति में निवेशकों को कुछ अवधि तक एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति का प्रावधान किया है। निवेशकों को एसजीएसटी की प्रतिपूर्ति में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए एसओपी तैयार की है। इसके तहत निवेशक की ओर से प्रतिपूर्ति का आवेदन प्राप्त होने पर एसओपी के अनुसार देय राशि का आकलन किया जाएगा। उसके बाद देय राशि का 90 फीसदी का भुगतान तत्काल कर दिया जाएगा।
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शेष 10 फीसदी राशि का भुगतान वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर इकाई की ओर से जीएसटीआर-9 में जीएसटीआर-9सी (वार्षिक कर योग्य विवरण) की प्रति प्रस्तुत करने पर किया जाएगा। राज्य कर विभाग की ओर से इसकी पुष्टि की जाएगी कि आवेदक इकाई ने जीएसटीआर-9 और जीएसटीआर-9सी दाखिल किया है और इकाई को एसजीएसटी अधिनियम के तहत राज्य कर विभाग से कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।
रोकी गई दस प्रतिशत राशि का एक सप्ताह में भुगतान कराएं
शासन के संज्ञान में आया है कि राज्य कर विभाग को पांच वर्ष तक नोटिस जारी करने का अधिकार है। इस आधार पर नोडल एजेंसी या पिकप की ओर से दस फीसदी एसजीएसटी की राशि पांच वर्ष तक रोकी जा रही है। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने इसे शासनादेश की गलत व्याख्या और शासन की मंशा के विपरीत माना है। उन्होंने प्रादेशिक इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक को इकाइयों की रोकी गई दस फीसदी राशि का भुगतान एक सप्ताह में कराने के निर्देश दिए हैं।
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