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सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : अमर उजाला।
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सत्यम हॉस्पिटल में गर्भवती की हुई मौत के बाद जिले भर के नर्सिंग होम, अस्पताल, पैथालॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच शुरू हो गई है। शुरुआती जांच में सीएमओ को जानकारी मिली है कि एक-एक डॉक्टरों ने आठ से 10 अस्पतालों, नर्सिंग होमों, पैथालॉजी और अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर अपनी डिग्री दे रखी है। सीएमओ ऐसे डॉक्टरों की लिस्ट तैयार करवा रहे हैं। साथ ही इन अस्पतालों का पंजीकरण निरस्त करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके लिए पांच टीमें अस्पतालों की जांच में जुटी हैं।
जानकारी के मुताबिक, जिले में 837 अस्पताल, नर्सिंग होम, पैथालॉजी, अल्ट्रासाउंड सेंटर और क्लीनिक पंजीकृत हैं। इनमें 30 से 40 फीसदी अस्पताल ऐसे हैं, जिनके नाम पर अस्पताल पंजीकृत तो हैं, लेकिन यह लोग अस्पतालों में बैठते नहीं।
इसका खुलासा सीएमओ के शुरुआती जांच में हुआ है। इसके लिए सीएमओ ने पांच टीमें बनाई हैं, जो अस्पतालों की जांच शुरू कर दी है। 10 से 12 दिनों के अंदर टीमें पूरी रिपोर्ट सौंप देंगी। ऐसे अस्पताल सबसे अधिक तारामंडल, गुलरिहा और ग्रामीण क्षेत्र के इलाकों में हैं।
इस खेल में स्वास्थ्य विभाग के कई कर्मियों भी भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। क्योंकि, बिना विभाग की शह पर यह खेल संभव नहीं है। पंजीकरण से पहले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अस्पतालों और नर्सिंग होम का निरीक्षण करने के साथ डिग्री की भी जांच करते हैं।
यह देखते हैं कि कहीं डॉक्टर ने किसी और अस्पताल को तो डिग्री नहीं दे रखी है। लेकिन, जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों ने इसका पालन नहीं किया। आंख मूंदकर पंजीकरण का खेल खेलते रहे। इस काम में विभाग के दो कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध दिखी है।
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