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दो केस तो महज बानगी हैं। ऐसे हर दिन कोई न कोई मरीज बिना डिग्री वालों की पकड़ में आ रहा और आर्थिक शोषण के साथ जान भी गवां रहा है। तारामंडल, पैडलेगंज, पादरी बाजार और बीआरडी मेडिकल कॉलेज का गुलरिहा इलाका ऐसे अस्पतालों के हब बनते जा रहे हैं। इसके बाद भी विभाग ऐसे लोगों पर नजर-ए-इनायत किए हुए है। स्थिति ऐसी है कि केस बिगड़ने पर ये लोग मरीजों को बीआरडी रेफर कर दे रहे हैं।
तारामंडल, गुलरिहा, पैडलेगंज इलाके में कई ऐसे बीएएमएस मिल जाएंगे, जो न केवल एलोपैथ पद्धति से इलाज कर रहे, बल्कि गंभीर मरीजों के लिए ट्रॉमा सेंटर, न्यूरो अर्बन यूनिट, आईसीयू व स्पेशियलिटी हॉस्पिटल भी चला रहे हैं। यही नहीं, यहां बड़े ऑपरेशन और डायलिसिस तक की सुविधा इन अस्पतालों में मौजूद है। तारामंडल में तो ऐसे अस्पताल चलाए जा रहे हैं, जहां पर इलाज बीएएमएस डॉक्टर के भरोसे चल रहा है। इन अस्पतालों में बड़े-बड़े डॉक्टरों के नाम के बोर्ड भी लगाए गए हैं। जबकि, ये डॉक्टर उसे अस्पतालों में इलाज के लिए जाते भी नहीं है।
शहर में बिना डिग्री वाले आयुर्वेदिक, एलोपैथी और होम्योपैथी सभी विधि से मरीजों का इलाज करने में माहिर होने का दावा करते हैं। तारामंडल में इनकी दुकानें संचालित हो रहीं हैं। ऐसे अस्पतालों पर विभाग ने कुछ दिनों पर पूर्व कार्रवाई भी की है। इन अस्पतालों में न्यू लोटस, जेएस और कालिंदी जैसे अस्पताल शामिल हैं।
अस्पताल पंजीकरण नोडल अधिकारी डॉ. एके सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग बिना डिग्री वाले और बिना पंजीकरण के चल रहे अस्पतालों पर लगातार कार्रवाई कर रहा है। अब तक ऐसे 84 अस्पतालों पर कार्रवाई की जा चुकी है। ये सभी अस्पताल बिना पंजीकरण के चल रहे थे। कई मामलों में मुकदमा भी दर्ज कराया गया है।
बंगाली ने कर दी सर्जरी, मौत
खोराबार थाना क्षेत्र के कुसम्ही मोतीराम अड्डा मार्ग पर आयुष नाम का एक अस्पताल चंदन नाम का एक बिना डिग्री वाला व्यक्ति चल रहा था। बंगाली क्लीनिक के नाम से इस अस्पताल में बवासीर और भगंदर से लेकर सभी तरह के फोड़ा-फुंसी के ऑपरेशन किए जाते थे। चंदन ने ही खोराबार थाना क्षेत्र के जंगल रामगढ़ उर्फ रजही निवासी राम आशीष का बवासीर का ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद आशीष की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को सील कर दिया है।
केस-दो
दो इंजेक्शन लगाया, थोड़ी देर बाद किशोर की हो गई मौत
कैंट थाना क्षेत्र में स्थित एक अस्पताल में कंदराई निवासी लाल चंद यादव 12 वर्षीय बेटे प्रिंस यादव को इलाज के लिए लेकर आए थे। प्रिंस के पैर में के दाएं अंगूठे का नाखून दब रहा था। आरोपी बिना डिग्री वाले व्यक्ति विजय यादव ने प्रिंस के ऑपरेशन से पहले दो इंजेक्शन लगाए। इंजेक्शन लगाने के थोड़ी ही देर बाद प्रिंस के मुंह से झाग निकलने लगा। इस दौरान थोड़ी ही देर बाद उसकी मौत हो गई। परिजनों ने हंगामा किया तो विजय फरार हो गया। मामले में पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया। बाद में स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को सील किया।
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