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सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : iStock
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दारू, मुर्गा, साड़ी हो या फिर नकदी, इसकी मदद से मतदाताओं को लुभावने की कोशिश तो कुछ उम्मीदवार ने की है, लेकिन मतदाताओं की खामोशी ने उनकी नींद उड़ा दी है। भोले-भाले दिखने वाले मतदाता ही सबसे शातिर निकले हैं। उनके दर पर जो भी उपहार लेकर पहुंचा है, किसी को भी नाराज नहीं किए। किसी का दिया मीट खा गए तो किसी से रोज पौव्वा ले रहे हैं। इन सब के बाद अगर कोई नकदी पकड़ा दे तो उससे भी गुरेज नहीं।
मतदाता हर उम्मीदवार से मिलने वाले उपहार को पकड़ ले रहे हैं, लेकिन चुप्पी साधे हुए हैं। वोट किसे देंगे, यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही साफ होगा कि किसका मुर्गा कारगर रहा और किसका नोट।
जानकारी के मुताबिक, चुनाव अपने अंतिम चरण में है। नतीजतन उम्मीदवार मतदाताओं को लुभावने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। इसी का फायदा मतदाता उठा रहे हैं। आलम यह है कि अब तो दारू पीने के बाद मतदाता एक उम्मीदवार के जाने पर दूसरे के समर्थक से सीधे बोल दे रहे हैं कि फला उम्मीदवार तो मीट और पांच सौ रुपये देकर गए हैं। आप भी जान लीजिए, मेरे घर में छह लोग है, वह तीन लोग का ही देकर गए हैं। उनको तो वोट नहीं देंगे।
फिर क्या अगले उम्मीदवार को छह लोगों के हिसाब से तीन हजार रुपये, दारू और मीट तो देना ही होगा। इन सब के बाद इसके बाद कोई अन्य प्रत्याशी आया तो फिर से वहीं पुरानी बात कहकर अपना काम चला ले रहे हैं।
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