[ad_1]

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव।
– फोटो : amar ujala
विस्तार
नगर निकाय चुनाव में अपनों को टिकट दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने ऐसा तानाबाना बुना कि चुनाव की तैयारी कर रहे पार्टी के ही कई नेता औंधे मुंह गिर गए। टिकट के लिए नाम सुझाने वाली स्क्रीनिंग कमेटी और शीर्ष नेतृत्व का गणित भी फेल हो गया। पहले वार्ड 61 में दो-दो प्रत्याशियों का सिंबल मिलना और फिर एक का निर्दल हो जाना चर्चा में रहा था। अब वार्ड नंबर 32 में टिकट बंटवारे पर घमासान सामने आया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर जिन्हें प्रत्याशी घोषित किया गया। वे न केवल निर्दल प्रत्याशी हो गए बल्कि कुछ को पर्चा भी उठाना पड़ गया। धुरंधरों की इस कारस्तानी का पार्टी, सोशल मीडिया से लेकर बाहर तक में विरोध हो रहा है।
इसे भी पढ़ें: काम आया सीएम योगी का मंत्र, बागियों को मनाने में सफल हुई भाजपा
वार्ड नंबर 80, 69, 61, 54 और पांच के बाद अब वार्ड नंबर 32 में सपा के टिकट बंटवारे पर घमासान मचा है। आरोप है कि यहां से पूर्व डिप्टी मेयर भाेनू मुस्तफा की पत्नी अलीमुननिसा टिकट की दावेदारी कर रहीं थीं। उनकी पैरवी निवर्तमान महानगर अध्यक्ष कर रहे थे। मगर, पार्टी ने निवर्तमान पार्षद शमा याशनीन को उम्मीदवार बनाया। शमा की पैरवी, पूर्व विधायक विजय बहादुर की तरफ से हो रही थी। 16 अप्रैल की शाम पार्टी ने शमा को उम्मीदवार घोषित किया। 17 अप्रैल को उन्होंने पर्चा दाखिल किया।
इसे भी पढ़ें: कुशीनगर में आग ने मचाया तांडव, अलग-अलग आग की घटना में 200 से अधिक घर हुए खाक
मगर, अलीमुननिसा ने 17 अप्रैल के पहले ही सपा की तरफ से नामांकन कर दिया था। 18 को जब नामांकन पत्रों की जांच हुई तो पहले पर्चा दाखिल कर दिए जाने की वजह से अलीमुननिसा को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी मान लिया गया और शमा निर्दल प्रत्याशी बन गईं। शमा ने आरोप लगाया है कि पार्टी के ही कुछ पदाधिकारियों ने साजिश के तहत प्रत्याशी घोषित होने के बाद भी उन्हें निर्दल बना दिया, जिससे आहत होकर उन्होंने बृहस्पतिवार को अपना पर्चा ही वापस ले लिया।
[ad_2]
Source link