माफिया अतीक अहमद के बेटे असद के एकाउंटर के साथ योगी आदित्यनाथ का ‘मिट्टी में मिला देंगे’ वाला बयान अब सबसे ज्यादा चर्चा में है। उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में अब कयास यही लगाए जा रहे हैं कि आने वाले चुनावों में योगी आदित्यनाथ का यह बयान सियासी रूप से बढ़-चढ़कर इस्तेमाल किया जाएगा। यूपी भाजपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ‘जो कहते हैं, कर दिखाते हैं’ का ट्वीट करते हुए योगी आदित्यनाथ की वीडियो को भी अटैच किया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में भाजपा किस तरह से इन बयानों को सियासी मैदान में आगे बढ़ाएगी। हालांकि उत्तर प्रदेश में इस एनकाउंटर के साथ सियासत शुरू हो गई। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने एनकाउंटर पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
माफिया सरगना अतीक अहमद के बेटे के एनकाउंटर के साथ ही इन बयानों का अब आने वाले चुनावों में बढ़-चढ़कर इस्तेमाल किया जाना तय माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि एनकाउंटर के बाद सबसे ज्यादा वायरल होने वाले 1वीडियो में वही वीडियो था, जिसमें योगी आदित्यनाथ विधानसभा में माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे का जिक्र कर रहे थे। शुक्ला कहते हैं कि कानून व्यवस्था को लेकर हमेशा से उत्तर प्रदेश में सवालिया निशान उठते रहे थे। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की वापसी में बहुत बड़ा योगदान कानून व्यवस्था का भी था। यही वजह है कि जब अतीक अहमद जैसे माफिया के ऊपर कानूनी शिकंजा कसा जाता है, तो उस कार्रवाई से होने वाली प्रतिक्रिया को उत्तर प्रदेश की सियासत से जोड़कर देखा जाता है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अतीक अहमद पर कसे जा रहे शिकंजे और उसके बेटे के एनकाउंटर को सियासी नजरिए से आखिर क्यों ना देखा जाए। इसके पीछे उनका तर्क है कि राजनीतिक संरक्षण में ही अतीक अहमद आतंक का पर्याय समूचे इलाके में बन गया था। योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में अतीक अहमद के राजनीतिक संरक्षण का जिक्र करते हुए न सिर्फ समाजवादी पार्टी पर हमला बोला था, बल्कि कानून व्यवस्था बिगाड़ने वालों पर शिकंजा कसते हुए उन्हें मिट्टी में मिला देने की बात कही थी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि माफियाओं पर चल रही बुलडोजर की कार्रवाई को भी उत्तर प्रदेश के बीते चुनावों में राजनीतिक मुद्दा बनाया गया। भाजपा ने जहां इस को अपने पक्ष में कैश कराया। वहीं विपक्ष ने इसको गलत कार्रवाई करार दिया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर को राजनीतिक दलों द्वारा सियासी मुद्दा बनाया जाता रहा है।
उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि उनकी सरकार कानून व्यवस्था को लेकर हमेशा से सख्त रवैया अपनाती रही है। जबकि भाजपा के अलावा दूसरी सरकारों में चाहे वह समाजवादी पार्टी की हो या बहुजन समाज पार्टी की सरकार, उस वक्त कानून व्यवस्था सबसे बदहाल रही। अब जब माफियाओं के ऊपर कानूनी रूप से शिकंजा कसा जा रहा है, तो समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को तकलीफ हो रही है। वह कहते हैं कि योगी शासन में कानून व्यवस्था इतनी बेहतर हुई है कि लोग उसकी तारीफ करते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ सरकार की ऐसी कार्रवाई सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि भाजपा शासित अन्य राज्यों में भी बुलडोजर मॉडल की तरह इसकी चर्चा होगी।
चुनावों में जमकर भुनाएंगे यह मुद्दा
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव से लेकर 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों में जब-जब कानून व्यवस्था की बात होगी, तो अतीक अहमद के बेटे का एनकाउंटर उसमें पहले पायदान पर रखकर गिना जाएगा। क्योंकि उत्तर प्रदेश के पिछले चुनावों में कानून व्यवस्था एक बड़ा सियासी मुद्दा बनकर उभरा है। 2017 में योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के दौरान की गई बुलडोजर की कार्यवाही को सिर्फ उत्तर प्रदेश के चुनावों में ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों के चुनावों में जमकर सियासी तौर पर भुनाया गया था। राजनीतिक विश्लेषक ओपी तंवर कहते हैं कि अब तो लोकसभा चुनाव सिर पर हैं। कर्नाटक में कुछ दिनों में चुनाव होने हैं। ऐसे में “मिट्टी में मिला देंगे” या “जो कहते हैं कर दिखाते हैं” जैसे बयानों का जिक्र इन चुनावों में न हो इसकी संभावना कम नजर आ रही है।
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वहीं अतीक अहमद के बेटे के एनकाउंटर को लेकर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने सियासी तौर पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने एनकाउंटर की जांच कराए जाने की मांग की है। जबकि बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी इस पूरे मामले की जांच कराकर सच्चाई सामने लाने का जिक्र किया है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार एके शुक्ला कहते हैं कि इस पूरे मामले में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में सियासी रूप देना शुरू कर दिया। असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस पूरे मामले पर भाजपा की सरकार को घेरा है। शुक्ला कहते हैं विपक्षी पार्टियों का भाजपा पर निशाना साधना और भाजपा की ओर से “मिट्टी में मिला देंगे” वाला वीडियो ट्वीट करना बताता है कि यह मुद्दा आने वाले चुनावों में कितना सियासी तौर पर गर्म होने वाला है।