Uttarahand: 14 अप्रैल को धधकते अंगारों पर नृत्य करेंगे जाख देवता के पश्वा, अद्भुत और अनोखी है यह परंपरा

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संवाद न्यूज एजेंसी, रुद्रप्रयाग

Updated Fri, 12 Apr 2024 04:33 PM IST

Uttarakhand News Jakh devta Peshwa will dance on blazing embers On 14th April

जाख देवता मेला की तैयारी
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


केदारघाटी के आराध्य रक्षक यक्षराज जाख देवता के मंदिर में दो दिवसीय जाख मेला संक्रांति 13 अप्रैल से शुरू होगा। नारायणकोटी, कोठेड़ा और देवशाल के ग्रामीणों की ओर से परंपरानुसार इस धार्मिक आयोजन की तैयारियां शुरू की गई और जंगल में चिह्नित की गई लकड़ियां काटी गईं। उन्हें शुक्रवार को मंदिर परिसर में लाया जाएगा। जहां बैशाख माह की 2 गते यानी 14 अप्रैल को जाख देवता अपने पश्वा पर अवतरित होकर धधकते अंगारों पर नृत्य करेंगे।

बृहस्पतिवार को नारायणकोटी गांव के ग्रामीणों ने भगवान यज्ञराज (जाख देवता) का आह्वान किया। इसके बाद ग्रामीण नंगे पैर जंगल पहुंचे और पूर्व में चिह्नित लकड़ियों को काटा गया। इस पूरी प्रक्रिया को स्थानीय भाषा में गोठी बैठना कहा जाता है। देवशाल के आचार्य मनोहर देवशाली ने बताया कि इन सूखी लकड़ियों को शुक्रवार को ढोल-नगाडों के साथ मंदिर परिसर में लाया जाएगा। जहां 13 अप्रैल को जाख देवता के मंदिर परिसर में सूखी लकड़ियों से अग्निकुंड तैयार किया जाएगा।

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मंदिर के आचार्यगणों व पुजारियों की ओर से अग्निकुंड में अग्नि प्रज्जवलित की जाएगी और मंदिर में भगवान यक्षराज की पूजा होगी। 14 अप्रैल को जाख देवता के पश्वा अग्निकुंड के धधकते अंगारों पर नृत्य करेंगे।

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