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पलायन
– फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर
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उत्तराखंड में होली पर अच्छी खबर सामने आई है। बीते पांच सालों में प्रदेश में पलायन घटा है। स्थायी पलायन में कमी आई है, जबकि अस्थायी पलायन की स्थिति पहले जैसी ही है। रोजगार की तलाश में राज्य के बाहर जाने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है, जबकि राज्य के भीतर एक जिले से दूसरे जिले में परस्पर पलायन बना हुआ है। गांवों से कस्बों की ओर बढ़ते कदमों ने अनियोजित शहरीकरण के संकेत भी दिए हैं। लोगों का स्वरोजगार के प्रति रुझान बढ़ा है, जबकि कृषि, बागवानी, पशुपालन अब रोजगार के मुख्य साधन बने हुए हैं।
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ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग ने द्वितीय राज्य स्तरीय पलायन सर्वेक्षण अंतरिम रिपोर्ट (वर्ष 2018 से 2022) सरकार को सौंप दी है। आम जनता के लिए इसे आयोग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है। इससे पहले आयोग की ओर से वर्ष 2011 से वर्ष 2018 के मध्य राज्य में पलायन की स्थिति पर सरकार को प्रथम रिपोर्ट सौंपी गई थी। पलायन के लिहाज से पहली रिपोर्ट के आधार पर तुलनात्मक स्थिति इस बार बेहतर है।
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 से सितंबर 2022 तक राज्य के 92 विकासखंडों की 6,436 ग्राम पंचायतों से कुल 3,07,310 लोगों ने अस्थायी पलायन किया है। जबकि 77 ब्लाॅकों के 2,067 गांवों से कुल 28,631 लोगों ने स्थायी पलायन किया है।
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