Uttarakhand: कांग्रेस के लिए प्रदेश में 10 वर्षों का सूखा खत्म करने की बढ़ी चुनौती, नए सिरे से मंथन में जुटे

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Congress Challenge increased to end 10 years of drought in Uttarakhand Politics read All Updates in hindi

हरीश रावत सहित अन्य कांग्रेस नेता
– फोटो : अमर उजाला

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लोकसभा चुनाव में उत्तराखंड में बीते 10 वर्षों का सूखा खत्म करने की आस लगाए बैठी कांग्रेस का मनोबल चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणामों से धड़ाम हो गया है। हिंदी भाषी चार राज्यों के विस चुनाव में पटखनी खाने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस का कार्यकर्ता हताश है।

ऐसे में पार्टी के रणनीतिकारों को कार्यकर्ताओं में ऑक्सीजन भरने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी, ताकि चुनाव से पूर्व उनके बीच नया जोश भरा जा सके। राज्य में वर्ष 2022 के विस चुनाव में कांग्रेस अपनी जीत को लेकर इस कदर आश्वस्त थी, पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर परिणाम आने से पहले ही खींचतान शुरू हो गई थी। लेकिन चुनाव परिणाम आते ही उसका यह अति उत्साह मुंह के बल गिर गया।

इसके बाद पड़ोसी राज्य हिमाचल ने जीत का मरहम लगाया तो कार्यकर्ताओं में एक बार फिर उत्साह लौट आया। लेकिन इस बार दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की विदाई और दो अन्य राज्य मध्य प्रदेश और मिजोरम में करारी हार से पार्टी को बड़ा झटका लगा है। चार राज्यों की इस हार ने तेलंगाना की जीत को भी फीका कर दिया।

नए सिरे से मंथन में जुटे

कल तक पांच में से करीब चार राज्यों में जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रहे पार्टी के नेता अब नए सिरे से मंथन में जुट गए हैं। उत्तराखंड कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती बीते 10 साल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही बने हुए हैं। उत्तराखंड ही नहीं केंद्रीय राजनीति में मोदी के करिश्माई नेतृत्व की काट फिलहाल उसके पास दिखाई नहीं दे रही है।

इन चुनावों ने खासकर हिंदी भाषी राज्याें में मोदी का करिश्मा बरकरार रहने और राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान का दांव नहीं चलने वाले परिणाम दिए हैं। ऐसे में पार्टी रणनीतिकारों को एक बार फिर से व्यापक रणनीति बनाने, बेहतर बूथ प्रबंधन और अंतर्विरोध की राजनीति से उबरने का सबक लेना होगा।

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इन चुनावों में मुद्दे हारे हैं, खैरात जीती है: माहरा

चार राज्यों में पार्टी की करारी हार पर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि इन चुनावों में कांग्रेस के मुद्दों की हार और भाजपा की खैरात की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि जनादेश हम सिर-माथे से स्वीकार करते हैं। उत्तराखंड में हम ज्यादा मेहनत करेंगे। हमने कुछ प्रश्न बनाए हैं, जिन्हें हम जनता के बीच लेकर जाएंगे। हम जनता से पूछेंगे कि बीते 10 साल में आपने भाजपा को दोनों बार पांच-पांच सांसद दिए हैं, बदले में उन्होंने आपको क्या दिया है।

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