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सीएम पुष्कर सिंह धामी
– फोटो : अमर उजाला
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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इनर लाइन परमिट व्यवस्था के संबंध में भेजे गए अलग-अलग प्रस्ताव उत्तराखंड सरकार को लौटा दिए हैं। मंत्रालय ने राज्य को समग्र प्रस्ताव भेजने को कहा है, ताकि सभी हितधारकों से संबंधित मसलों पर एक बार में ही इनर लाइन परमिट की नीति बनाई जा सके।बता दें कि राज्य में इनरलाइन परमिट व्यवस्था सीमांत पर्यटन की राह में अड़चन बन रही है। इ
नरलाइन परमिट व्यवस्था को थोड़ा लचीला बनाने की मांग हो रही है, ताकि सीमांत इलाकों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। खुद केंद्र सरकार भी राज्य में चीन-नेपाल सीमा के पास स्थित गांवों में पर्यटन गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रही है। केंद्र ने राज्य के 50 से अधिक गांवों को वाइब्रेंट विलेज की सूची में रखा है।
राज्य सरकार भी मुख्यमंत्री सीमांत गांव विकास योजना के तहत सीमांत गांवों के लिए अलग से योजना बना रही है। देशभर के सैलानी हिमालयी क्षेत्रों में ट्रैकिंग के लिए आते हैं। विदेशी पर्यटक भी उत्तराखंड के हिमालयी इलाकों में घूमने में दिलचस्पी दिखाते हैं। लेकिन इनर लाइन परमिट व्यवस्था के कारण पर्यटकों को सीमा क्षेत्र के आसपास की घाटियों में सैर करने की अनुमति नहीं है। स्थानीय निवासियों को भी इन इलाकों में रात्रि प्रवास की इजाजत नहीं है। इस कारण इन क्षेत्रों में पर्यटन की संभावना का पूरा दोहन नहीं हो पा रहा है। स्थानीय लोग भी बिना इजाजत यहां नहीं घूम सकते।
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