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पानी
– फोटो : pixy bay
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प्रदेश में हर साल दूषित पेयजल की वजह से होने वाली बीमारियों में पहली बार भारी कमी दर्ज की गई है। पेयजल विभाग और नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) की रिपोर्ट में इसका खुलासा है। डायरिया, हेपेटाइटिस, टायफाइड, फीवर सहित तमाम बीमारियों का प्रकोप कम होने के पीछे जल जीवन मिशन से स्वच्छ जलापूर्ति को वजह बताया जा रहा है।
पांच साल में बीमारियों का ग्राफ 2022 में सबसे नीचे
प्रदेश में वर्ष 2017 में डायरिया के 2,15,761 मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद 2018 में 2,03,973, 2019 में 1,96,111, वर्ष 2020 में 77,964, 2021 में 1,15,314 मामले दर्ज किए गए थे। 2022 में इनकी संख्या गिरकर 32,506 पर पहुंच गई। इसी प्रकार, एंट्रिक फीवर के 2017 में 65,781 मामले थे, जिनका आंकड़ा 2022 में गिरकर 21,838 पर पहुंच गया। वायरल हेपेटाइटिस के 2017 में 8149 मामले सामने आए थे, जो कि 2022 में 946 पर पहुंच गए।
टायफाइड के 2017 में 22,749 मामले थे, जो कि इस साल 9,154 पर पहुंच गए। वायरल हेपेटाइटिस-ए के 2017 में 217 मामले थे, जो कि 2022 में 88 रिकॉर्ड हुए। वायरल हेपेटाइटिस-ई के 2017 में 171 मामले थे, जो कि 2022 में 48 पर पहुंच गए। दूषित पेयजल की वजह से पेचिश के 2017 में 20,557 मामले थे, जो 2022 में 3016 रिकॉर्ड हुए।
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