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उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष से मिलते सीएम धामी।
– फोटो : अमर उजाला
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प्रदेश में धान और गेहूं खरीद केंद्रों के संबंध में शीतकालीन विधानसभा सत्र में नियम 300 के तहत लगाए प्रश्न का जवाब संबंधित विधायकों को ग्रीष्मकालीन सत्र शुरू होने से ठीक तीन दिन पहले प्राप्त हुआ है। इस पर आपत्ति जताते हुए विधायकों ने सरकार पर आधी-अधूरी सूचना देने का आरोप लगाया है।
बीते वर्ष नवंबर में देहरादून में हुए शीतकालीन सत्र में खटीमा से कांग्रेस विधायक भुवन कापड़ी और नानकमत्ता विधायक गोपाल सिंह राणा ने नियम 300 के तहत प्रदेश में धान और गेहूं खरीद केंद्रों के संबंध में प्रश्न लगाया था। उनका कहना था कि किसानों की पूरी फसल खरीदने से पहले ही खरीद केंद्रों को बंद कर दिया जा रहा है। इससे किसानों की फसल बरबाद हो रही है और किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।
दोनों विधायकों के प्रश्न का जवाब उन्हें 13 मार्च से ग्रीष्मकालीन विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक तीन दिन पहले यानि 10 मार्च को मिला है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग की ओर से जवाब दिया गया। इसमें कहा गया कि किसानों की उपज को खरीदने के लिए सरकार जरूरत के अनुसार क्रय केंद्र की स्थापना क्रय एजेंसियों की संस्तुति और उत्पादकता के आधार पर जिलाधिकारी के अनुमोदन पर करती है।
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केंद्रों की संख्या घटाने या बढ़ाने का अधिकार जिलाधिकारी के पास सुरक्षित होता है। विधायक भुवन कापड़ी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि एक तो उन्हें सूचना का जवाब देर से दिया गया है और दूसरा जो प्रश्न उन्होंने लगाया था, उसका सही जवाब नहीं दिया गया है।
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