Uttarakhand: विश्वविद्यालयों में बने ड्रग्स कंट्रोल क्लब, पाठ्यक्रम बने हिस्सा, बैठक में मिले सुझाव

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Drugs control clubs formed in universities made part of curriculum suggestions received in meeting Uttarakhand

बैठक लेते सीएम धामी
– फोटो : amar ujala

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युवाओं को नशे के खतरों से आगाह करने और उनमें जागरूकता लाने के उद्देश्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों में ड्रग्स कंट्रोल क्लब खोले जा सकते हैं। साथ ही शिक्षा विभाग नैतिक शिक्षा और नशे के दुष्प्रभाव से संबंधित विषयों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जा सकता है।

ऐसे कई महत्वपूर्ण सुझाव सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में राज्य सचिवालय में हुई राष्ट्रीय नार्को समन्वय पोर्टल (एनकार्ड) की राज्यस्तरीय समिति की बैठक में अधिकारियों ने दिए। बैठक में नशा मुक्ति के लिए ई-प्रतिज्ञा लेने, नशा मुक्ति अभियान में महिला स्वयं सहायता समूहों को जोड़ने, नशे को रोकने के लिए आधुनिक तकनीक के अधिकतम इस्तेमाल, कई माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाने के भी सुझाव रखे।

सीएम ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने जिले को सबसे पहले ड्रग्स फ्री बनाने के लिए जुट जाएं। उन्होंने नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए संयुक्त टीम बनाकर सघन जांच अभियान छापेमारी करने के निर्देश दिए। उन्होंने नशीले पदार्थों पर प्रभावी रोकथाम के लिए कार्ययोजना बनाने को कहा।

उन्होंने निर्देश दिए कि हल्द्वानी और कोटद्वार में बनाए जा रहे नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन की शीघ्र कार्रवाई की जाए। उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में नशीले पदार्थों की तस्करी को पूरी तरह से रोकने के लिए सघन चेकिंग अभियान चलाया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, डीजीपी अभिनव कुमार, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु समेत कई अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

85 प्रधानों व वार्ड सदस्यों को दिलाई शपथ

मुख्यमंत्री ने बैठक में वर्चुअल माध्यम से जुड़े 85 गांवों के प्रधानों व वार्ड सदस्यों को नशा मुक्त शहर-नशा मुक्त गांव के जिंदगी को हां, नशे को ना की शपथ भी दिलाई। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025 तक उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री राज्य बनाने के लिए सभी विभागों को प्रयास करने होंगे।

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सभी जेलों में ड्रग काउंसलिंग सेंटर बनाएं

मुख्यमंत्री ने कहा, सभी जेलों में ड्रग काउंसलिंग सेंटर बनाए जाएं। पुलिस, प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों और उच्च शिक्षा विभाग नशा मुक्ति के लिए प्रभावी कार्ययोजना भी तैयार करें। सभी जिलाधिकारी यह प्रयास करें कि उनका जिला सबसे पहले नशे से मुक्त हो। नशा मुक्ति के लिए प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में प्रकोष्ठ बनाने की आवश्यकता प्रतीत होती है, तो बनाए जाएं।

 

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