Uttarakhand Cabinet: मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ के साथ कॉर्पस फंड को कैबिनेट की मंजूरी

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Uttarakhand Cabinet approves Corpus Fund with Human Wildlife Conflict Prevention Cell

बैठक लेते मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में प्रतिवर्ष 60 से 70 लोगों की मौत हो जाती है। इसी तरह से 250 से 300 लोग घायल हो जाते हैं। ऐसी घटनाओं में तत्काल राहत पहुंचाने के लिए धामी सरकार ने मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ की स्थापना के साथ ही दो करोड़ रुपये के कॉर्पस फंड की स्थापना को मंजूरी दी है। प्रकोष्ठ में वन विभाग के अधिकारियों के अलावा अन्य वैज्ञानिक और विशेषज्ञों की तैनाती भी की जाएगी।

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मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव (चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन) के कार्यालय के तहत संचालित होगा। प्रकोष्ठ की स्थापना राज्य में मानव एवं वन्यजीवों के मध्य होने वाली घटनाओं का वैज्ञानिक विश्लेषण किए जाने के लिए की गई है। प्रकोष्ठ में सहयोग के लिए एक वन क्षेत्राधिकारी अथवा समकक्ष उप वन क्षेत्राधिकारी (विभागीय तैनाती के माध्यम से), एक पद जीआईएस विशेषज्ञ, दो पद विशेषज्ञ जेआरएफ व एसआरएफ आउटसोर्स पर अनुबंध के आधार रखे जाएंगे।

कॉर्पस फंड में प्रतिवर्ष दो करोड़ रुपये की राशि देगी सरकार

उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की (कॉर्पस फंड) में प्रत्येक वर्ष राज्य सरकार दो करोड़ रुपये तक की धनराशि उपलब्ध कराएगी। इस धनराशि में राज्य सरकार अपने विवेक से कमी एवं वृद्धि भी कर सकेगी। खास बात यह है कि धनराशि नॉन लेप्सेबल होगी। यानि हर साल जितना भी फंड बचेगा, वह आगे भी बना रहेगा और आगे जो राशि प्राप्त होगी, फंड में जुड़ती चली जाएगी।

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