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उत्तराखंड हाईकोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
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गैर तकनीकी विषयों में पीएचडी करने वालों को अध्ययन अवकाश की अस्वीकृति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि नियम को केवल वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन तक सीमित नहीं किया जा सकता है। शिक्षा विभाग ने शिक्षिका को अवकाश आवेदन अस्वीकृत करने से संबंधित अपर शिक्षा निदेशक व जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया है।
न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ के समक्ष मामले कि सुनवाई हुई। मामले के अनुसार हिंदी विषय (एलटी ग्रेड) की शोभा बुधलाकोटी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने के लिए शिक्षा विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया था। उन्होंने अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन किया जिसे विभाग ने इस आधार पर अस्वीकृत कर दिया था कि इस प्रकार का अवकाश विज्ञान विषय और तकनीकी अध्ययन के लिए दिया जा सकता है।
शिक्षिका ने याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी। कोर्ट ने कहा कि हिंदी विषय में कोई भी वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन नहीं किया जा सकता, इस विषय में पीएचडी अवश्य उच्च अध्ययन होगा। न्यायालय ने विभाग को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता पहले से ही पीएचडी पाठ्यक्रम में पंजीकृत है और विभाग द्वारा एनओसी पहले ही दी जा चुकी है, इसलिए उसे ऐसे अवकाश से मना नहीं किया जा सकता है।
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याचिकाकर्ता शोभा बुधलाकोटी ने अदालत को बताया कि वह सहायक अध्यापिका हैं और हाल ही में उन्होंने शिक्षा विभाग से एनओसी लेकर हिंदी में पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया है। पीएचडी पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए अवकाश की आवश्यकता होती है।
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