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गंगा पार रेत पर बनाई गई थी नहर
– फोटो : अमर उजाला
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काशी के खूबसूरत घाटों से पानी का दबाव कम करने के नाम पर गंगा पार रेती पर खोदी गई नहर के मामले में नया मोड़ आ गया है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने पांच जनवरी 2023 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष जो जवाब दाखिल किया है, उसमें साफ कहा कि नमामि गंगे और राज्य पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन प्राधिकरण से गंगा पार रेती पर नहर खोदाई की अनुमति नहीं ली गई थी।
यही नहीं, नहर की खोदाई कराने वाली कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग ने भी मामले से किनारा कर लिया है। अपनी गर्दन बचाने के लिए सिंचाई विभाग के अफसरों ने सारा दोष जिला प्रशासन पर मढ़ दिया है। लिखकर दे दिया कि जिला प्रशासन के दबाव में ही नहर बनाई गई थी। अब मामले में एनजीटी को फैसला लेना है।
11.95 करोड़ से ज्यादा हुए खर्च
सिंचाई विभाग ने तीन फरवरी 2021 को अस्सी व राजघाट पर पानी का दबाव कम करने के लिए जेसीबी व पोकलैंड के जरिये नहर का निर्माण कराया था इसमें ड्रेजिंग का सहारा लिया गया और 5.3 किलोमीटर लंबी नहर बना दी गई। नहर निर्माण पर 11.95 करोड़ से ज्यादा की धनराशि खर्च की गई। इस बीच गंगा का जलस्तर बढ़ा और नव निर्मित नहर का अस्तित्व खत्म हो गया।
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