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मौके पर पहुंची राजीव रंजन की छोटी मामी मुन्नी कुमारी ने बताया कि 30 दिसंबर को पटना में भांजे के जन्मदिन कार्यक्रम में राजीव और अनुपमा से मुलाकात हुई थी। दोनों बेहद खुश थे। मुन्नी कुमारी के पति एसएन सिन्हा पीडीडीयूनगर रेलवे स्टेशन पर सेक्शन इंजीनियर हैं।
रेलकर्मी राजीव रंजन के परिवार के लिए नए वर्ष का पहला दिन अशुभ रहा। सुबह जैसे ही पति, पत्नी व बेटे के शव मिलने की सूचना मिली, वैसे ही परिजनों की खुशियां मातम में बदल गईं। वाराणसी में रहने वाले रिश्तेदार कुछ देर में ही राजीव के सरकारी आवास पर पहुंच गए, लेकिन बिहार के नालंदा से परिजन देर से आ सके।
रिश्तेदारों के मुताबिक, नए वर्ष की शुभकामना देने के लिए पटना में रहने वाली बड़ी बहन ने राजीव और अनुपमा को कई बार फोन मिलाया था, लेकिन बात नंबर ही नहीं मिला। इसकी सूचना बहन ने बरेका में फीटर पद पर तैनात चचेरे भाई विजय को भी दी। विजय जब रेलवे आवास पहुंचा तो पहले से ही मौजूद पुलिस और आसपास लोगों की भीड़ देख सहम गया।
आवास के अंदर कमरे में घुसा तो भाई राजीव, भाभी अनुपमा और ढाई साल के भतीजे हर्ष के शव पड़े थे। यह देख विजय व अन्य रिश्तेदार फफक कर रो पड़े। सूचना मिलने के बाद बिहार से पिता नवल पटेल और अन्य रिश्तेदार आए। सब मोर्चरी गए और शवों को देखकर बेसुध हो गए और कहा कि सब कुछ खत्म हो गया।
काशी स्टेशन के पास रेलवे आवास संख्या डी-29 ब्लाक में रहने वाले रेलकर्मी राजीव रंजन और उरनकी पत्नी अनुपमा के मोबाइल फोन शनिवार की रात 9:31 बजे फ्लाइट मोड पर डाले गए थे। अनुपमा ने अंतिम बार रात साढ़े आठ बजे अहमदाबाद में रहने वाली अपनी बड़ी बहन से वीडियो कॉल पर बात भी की थी।
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