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सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : अमर उजाला
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विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट तृतीय) शैलेंद्र सिंह की अदालत ने 11 वर्षीय दिव्यांग बच्चे के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त नीलू शुक्ला को दोषी पाया। अदालत ने अभियुक्त को 10 वर्ष का कठोर कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। साथ ही, अदालत ने जुर्माने की राशि में से आधी पीड़ित को दिए जाने का आदेश दिया।
विशेष लोक अभियोजक संदीप कुमार जायसवाल के मुताबिक मुकदमे के वादी का दिव्यांग नाती सात मई 2018 की शाम सारनाथ थाना क्षेत्र स्थित अपने घर के दरवाजे पर खेल रहा था। उसी दौरान अभियुक्त नीलू शुक्ला उसके पास आया और कहा कि हमारे साथ भंडारा खाने चलो। इसके बाद उसने दिव्यांग बच्चे को अपने पीठ पर चढ़ा लिया।
फिर, सलारपुर स्थित रेलवे क्रॉसिंग के पार ले जाकर सुनसान स्थान पर उसके साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म किया। जब वादी खोजते हुए रेलवे क्रॉसिंग के पास पहुंचा तो उसके नाती ने रोते हुए बताया कि नीलू ने उसके साथ गलत काम किया है। अदालत ने विचारण के बाद अपने आदेश में कहा कि अभियोजन यह सिद्ध करने में सफल रहा कि अभियुक्त नाबालिग पीड़ित को भंडारे का लालच देकर बहला फुसलाकर जंगल में ले गया। उसके साथ दुष्कर्म किया और गड्ढे में उसे धकेल कर वहां से भाग गया। ऐसे में अदालत ने अभियुक्त के कृत्य को गंभीर अपराध की श्रेणी का मानते हुए उसे सजा सुनाई।
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