Viral Video : फिल्मी और भोजपुरिया अंदाज नहीं; बिहार के नीतीश की आवाज में गाई राष्ट्र वंदना भा रही

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नीतीश कश्यप।
– फोटो : अमर उजाला

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यह ठीक से वायरल होने में समय लगेगा, क्योंकि यह न तो फिल्मी है और न भोजपुरिया अंदाज का। लेकिन, यकीन मानिए अगर आप एक बार सुन लें तो आवाज पर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। मित्रमंडली को यह सुख काफी समय से मिल रहा था। एक मित्र ने जिद कर दी कि इस गीत को स्टूडियो में गाना है। स्टूडियो की हिचक थी। दूसरी बात कि नेपाल के सीमावर्ती बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के किसी स्टूडियो में क्या रिजल्ट आएगा, इसपर भी शक था। लेकिन, अब बिहारी नीतीश कश्यप की आवाज में मातृभूमि-राष्ट्रवंदना सुनने वाले मंत्रमुग्ध हैं। यह गीत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की किसी किताब में है, लेकिन भागलपुर के मूल निवासी नीतीश कश्यप ने इसे हृदय से गाकर हर सुनने वालो को झंकृत कर दिया है। वीडियो का हिस्सा सोशल मीडिया पर अपलोड होते ही बेतिया, भागलपुर के साथ राज्य के कई हिस्सों से नीतीश के पास कॉल आ रहा है।   

भागलपुर के नीतीश ने मित्र की जिद में गाया गीत

नीतीश कश्यप भागलपुर के मूल निवासी हैं। एक साल से बेतिया में हैं। बताते हैं- “मेरे मित्र प्रशांत  सौरभ बहुत अच्छा बांसुरी बजाते हैं। वह मेरी आवाज सुनकर इतना प्रभावित हुए कि रिकॉर्डिंग के लिए जिद ठान दी। बेतिया के स्टूडियो में इतनी अच्छी रिकॉर्डिंग की उम्मीद नहीं थी, लेकिन गीत गाने के बाद जब खुद सुना तो भाव-विभोर हो गया। हाईस्कूल के समय से संगीत सीखा और रुचि भी थी। अब जाकर एक मित्र की जिद के कारण लोगों की भावनाएं जगा पाना सुखद एहसास कराता है।”

पढ़ाई-नौकरी के लिए यूपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में रहे 

नीतीश ने 10वीं तक की शिक्षा नवगछिया से हासिल की और फिर 12वीं भागलपुर से। इसके बाद काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक किया। संगीत में डिप्लोमा भी किया। फिर राजस्थान के अजमेर विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र से पीजी करने के बाद छत्तीसगढ़ के स्कूल में शिक्षक की नौकरी की। चार महीने की नौकरी से मन संतुष्ट नहीं हो रहा था। घर वापसी की। यहां बिल्कुल अलग काम में लग गया- वाटर फिल्टर बिजनेस। यहां भी मन नहीं लगा। लगता था कि आमजन से जुड़ना ही लक्ष्य है। अपने गुरु से मन की बात कही तो उन्होंने संघ से जुड़ने कहा। फिर बेतिया आ गया। यहां लोगों के बीच सुबह से शाम रहता हूं। इसी क्रम में गाते-गुनगुनाते सुनकर मित्रों ने रिकॉर्डिंग के लिए बहुत जोर डाला, जिसका परिणाम अब लोग देख-सुन रहे हैं।

गीत किताब में है, लेकिन गाने-सुनने से ही यह सार्थक

यह गीत क्यों गाया? सवाल पूछे जाने पर नीतीश कहते हैं- “किताबों में बहुत कुछ होता है। बहुत मेहनत के बाद यह किसी गीत को किसी स्तरीय किताब में जगह मिलती है। यह सार्थक तभी होता है, जब उसे गाया जाए या सुना जाए। मैंने गाया है, इसलिए नहीं कह रहा। लेकिन, एक बार सुनने की अपील हर भारतवंशी से करता हूं।” पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे नीतीश कहते हैं- “नकारात्मकता हर जगह है। इसमें हर जगह सकारात्मकता को ढूंढ़ लेना हमारी जिम्मेदारी है। मेरी भी और राष्ट्र के हर व्यक्ति की। ऐसा करें तो खुद पता चलेगा कि हमें राष्ट्र के लिए कुछ करना चाहिए। केवल दोष देना, विरोध करना ही लक्ष्य होना नहीं होना चाहिए। दोष हर जगह है, हर चीज में कुछ कमी रहती है। कोई पूर्ण नहीं है। समस्या गिनाने से ज्यादा हमे समाधान ढूंढ़ना होगा। क्योंकि, यह देश हर भारतवंशी का है। इस गीत का लक्ष्य भी यही है और मेरे गाने का उद्देश्य भी।

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