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जलवायु परिवर्तन
विस्तार
अप्रैल में बारिश और ठंडी हवाएं, कहीं-कहीं ओलावृष्टि आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभ के कारण होती है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष मौसम ठंडा रहा। आज-कल में फिर तापमान में गिरावट के साथ बारिश की संभावना है। मौसम में इस तरह आ रहा अचानक बदलाव भी जलवायु परिवर्तन का ही परिणाम है। फरवरी माह में मौसम विभाग ने मार्च-अप्रैल में भारी गर्मी और लू की चेतावनी दी थी, लेकिन यह अनुमान पूरी तरह गलत साबित हुआ।
विशेषज्ञों के अनुसार, वायुमंडलीय परिस्थितियों में परिवर्तन किसी भी समय और अभूतपूर्व हो सकता है, इसलिए ऐसे मॉडल हमेशा मौसम की भविष्यवाणी का सटीक अनुमान नहीं लगा सकते हैं। मौसम का पूर्वानुमान जटिल गणितीय समीकरणों का उपयोग करके लगाया जाता है। यह समीकरण वे बनाते हैं, जिन्हें वायुमंडलीय मॉडल के रूप में जाना जाता है। इन मॉडलों द्वारा उत्पादित पूर्वानुमानों की सटीकता ग्रिड रिजॉल्यूशन, मॉडल में प्रयुक्त भौतिकी और लीड टाइम जैसे कारकों पर निर्भर करती है।
छह विक्षोभों की वजह से प्रभावित हुआ मौसम
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, मार्च के महीने में छह पश्चिमी विक्षोभों ने मौसम को प्रभावित किया। इनमें गर्त और चक्रवाती परिसंचरण, मध्य और ऊपरी वायुमंडल में घूमती हवाओं के साथ ही वायुमंडल की सबसे निचली परत की हलचल भी मौसम बदलाव के लिए जिम्मेदार है। निचली परत में हो रही हलचल की वजह से ही हवाएं मौसम के विपरीत अत्यधिक ठंडी हो गई हैं। आईएमडी ने इसके लिए पछुआ जेट स्ट्रीम का हवाला दिया है। यह हवाओं का एक ऐसा बैंड है जो जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न होता है। यह ट्रफ उत्तर भारत समेत देश के एक बड़े हिस्से में मौसम को अस्थिर कर सकता है क्योंकि इसका विस्तार व्यापक है।
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