जम्मू कश्मीर: फारूक अब्दुल्ला बोले- कश्मीरी पंडितों के घाटी लौटने से इंकार ने सरकार के दावों को किया खारिज

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MP Farooq Abdullah

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– फोटो : ANI

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नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष व सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के घाटी में लौटने की अनिच्छा ने सरकार के दावों को खारिज कर दिया है। अगर इस देश को आगे बढ़ना है तो ध्रुवीकरण की राजनीति से दूर रहना होगा। 
नई दिल्ली में एक समारोह में डॉ. फारूक ने कहा कि जब तक नई दिल्ली अपनी पिछली गलतियों को नहीं सुधारती जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से शांति की वापसी नहीं हो सकती है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि कश्मीर में शांति बहाल हो गई है तो फिर कश्मीरी पंडित कर्मचारी कश्मीर में अपनी ड्यूटी पर क्यों नहीं लौटना चाहते हैं। इसके विपरीत कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे ड्यूटी पर वापस नहीं आए तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएघा या उनके वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा। वे झूठ से दूर नहीं हो सकते क्योंकि झूठ के पैर नहीं होते हैं। 

बजटीय आवंटन के संदर्भ में कश्मीर प्रांत के साथ हो रहे भेदभाव पर डा. फारूक ने कहा कि मौजूदा सरकार कश्मीर पर धन का लगभग 40 प्रतिशत ही खर्च कर रही है। लोगों को विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान करते हुए डा. फारूक ने कहा कि हमें आंतरिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है। अगर हम आपस में मजबूत होंगे तो हमें कोई नहीं हरा पाएगा। हमें हिंदू या मुसलमान के संदर्भ में सोचने की जरूरत नहीं है। मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब सांप्रदायिक उन्माद की यह बुराई खत्म होगी। अगर इस देश को आगे बढ़ना है तो इसे सांप्रदायिकता को अलविदा कहना होगा।

कर्मियों के साथ जोर-जबरदस्ती ठीक नहीं – महबूबा
उधर, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के साथ जोर-जबरदस्ती ठीक नहीं। जब तक कश्मीर में सुरक्षा हालात पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते, तब तक इन कर्मियों की तैनाती सुरक्षित स्थानों पर करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। बता दें कि कश्मीर में मई महीने में लक्षित हत्याओं के बाद से कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू में आंदोलन कर रहे हैं और कश्मीर संभाग से स्थानांतरित कर जम्मू संभाग में तैनात करने की मांग कर रहे हैं।

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नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष व सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के घाटी में लौटने की अनिच्छा ने सरकार के दावों को खारिज कर दिया है। अगर इस देश को आगे बढ़ना है तो ध्रुवीकरण की राजनीति से दूर रहना होगा। 

नई दिल्ली में एक समारोह में डॉ. फारूक ने कहा कि जब तक नई दिल्ली अपनी पिछली गलतियों को नहीं सुधारती जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से शांति की वापसी नहीं हो सकती है।

 

उन्होंने कहा कि सरकार दावा कर रही है कि कश्मीर में शांति बहाल हो गई है तो फिर कश्मीरी पंडित कर्मचारी कश्मीर में अपनी ड्यूटी पर क्यों नहीं लौटना चाहते हैं। इसके विपरीत कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे ड्यूटी पर वापस नहीं आए तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएघा या उनके वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा। वे झूठ से दूर नहीं हो सकते क्योंकि झूठ के पैर नहीं होते हैं। 

बजटीय आवंटन के संदर्भ में कश्मीर प्रांत के साथ हो रहे भेदभाव पर डा. फारूक ने कहा कि मौजूदा सरकार कश्मीर पर धन का लगभग 40 प्रतिशत ही खर्च कर रही है। लोगों को विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान करते हुए डा. फारूक ने कहा कि हमें आंतरिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है। अगर हम आपस में मजबूत होंगे तो हमें कोई नहीं हरा पाएगा। हमें हिंदू या मुसलमान के संदर्भ में सोचने की जरूरत नहीं है। मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब सांप्रदायिक उन्माद की यह बुराई खत्म होगी। अगर इस देश को आगे बढ़ना है तो इसे सांप्रदायिकता को अलविदा कहना होगा।

कर्मियों के साथ जोर-जबरदस्ती ठीक नहीं – महबूबा

उधर, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के साथ जोर-जबरदस्ती ठीक नहीं। जब तक कश्मीर में सुरक्षा हालात पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते, तब तक इन कर्मियों की तैनाती सुरक्षित स्थानों पर करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। बता दें कि कश्मीर में मई महीने में लक्षित हत्याओं के बाद से कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू में आंदोलन कर रहे हैं और कश्मीर संभाग से स्थानांतरित कर जम्मू संभाग में तैनात करने की मांग कर रहे हैं।



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