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सार
पर्यटन स्थल डलहौजी से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर स्वयंभू प्रकट मां भलेई का मंदिर है। भद्रकाली मां भलेई भ्राण नामक स्थान पर स्वयंभू प्रकट हुई थीं।
माना जाता है कि मां जब प्रसन्न होती हैं तो प्रतिमा से पसीना निकलता है। पसीना निकलने का यह भी अर्थ है कि मां से मांगी गई मुराद पूरी होगी। पर्यटन स्थल डलहौजी से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर स्वयंभू प्रकट मां भलेई का मंदिर है। कहा जाता है कि भद्रकाली मां भलेई भ्राण नामक स्थान पर स्वयंभू प्रकट हुई थीं और चंबा के राजा प्रताप सिंह द्वारा मां भलेई के मंदिर का निर्माण करवाया गया।
60 के दशक तक यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। इसके बाद मां भलेई की एक अनन्य भक्त दुर्गा बहन को मां भलेई ने स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया था कि सबसे पहले दुर्गा बहन मां भलेई के दर्शन करेंगी। जिसके बाद अन्य महिलाएं भी मां भलेई के दर्शन कर सकती हैं। कहा जाता है कि एक बार चोर मां भलेई की प्रतिमा को चुरा कर ले गए थे। चोर जब चौहड़ा नामक स्थान पर पहुंचे तो चमत्कार हुआ। चोर जब मां की प्रतिमा को उठाकर आगे की तरफ बढ़ते तो वे अंधे हो जाते और जब पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें सब कुछ दिखाई देता।
इससे भयभीत होकर चोर चौहड़ा में ही मां भलेई की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए थे। बाद में पूर्ण विधि विधान के साथ मां की दो फीट ऊंची काले रंग की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। लोगों का कहना है कि मंदिर को बनाने के लिए मां भलेई ने ही चंबा के राजा प्रताप सिंह को धन उपलब्ध करवाया था। हजारों साल पहले बने इस मंदिर की वास्तुकला को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है, ये इतना खूबसूरत है।
मंदिर के पुजारी डॉ. लोकी नंद शर्मा ने बताया कि भलेई माता के असंख्य चमत्कार देखने को मिलते हैं। सच्ची श्रद्धा के साथ आने वाले हर श्रद्धालु की मुराद माता अवश्य पूरी करती है। मान्यता है कि कई बार मंदिर के गर्भग्रह में दो लोगों में से एक व्यक्ति को माता के चेहरे पर पसीना पड़ा दिखाई देता है जबकि दूसरे व्यक्ति को ये दिखता तक नहीं है।
विस्तार
चंबा जिले के ऐतिहासिक मंदिरों में से एक भद्रकाली माता के मंदिर का नाम यहां बसे छोटे से गांव भलेई के नाम पर पड़ा है। देश के कोने-कोने से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। अन्य दिनों के मुकाबले नवरात्र में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। माता भद्रकाली में असीम आस्था रखने वाले भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
माना जाता है कि मां जब प्रसन्न होती हैं तो प्रतिमा से पसीना निकलता है। पसीना निकलने का यह भी अर्थ है कि मां से मांगी गई मुराद पूरी होगी। पर्यटन स्थल डलहौजी से करीब 38 किलोमीटर की दूरी पर स्वयंभू प्रकट मां भलेई का मंदिर है। कहा जाता है कि भद्रकाली मां भलेई भ्राण नामक स्थान पर स्वयंभू प्रकट हुई थीं और चंबा के राजा प्रताप सिंह द्वारा मां भलेई के मंदिर का निर्माण करवाया गया।
60 के दशक तक यहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। इसके बाद मां भलेई की एक अनन्य भक्त दुर्गा बहन को मां भलेई ने स्वप्न में दर्शन देकर आदेश दिया था कि सबसे पहले दुर्गा बहन मां भलेई के दर्शन करेंगी। जिसके बाद अन्य महिलाएं भी मां भलेई के दर्शन कर सकती हैं। कहा जाता है कि एक बार चोर मां भलेई की प्रतिमा को चुरा कर ले गए थे। चोर जब चौहड़ा नामक स्थान पर पहुंचे तो चमत्कार हुआ। चोर जब मां की प्रतिमा को उठाकर आगे की तरफ बढ़ते तो वे अंधे हो जाते और जब पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें सब कुछ दिखाई देता।
इससे भयभीत होकर चोर चौहड़ा में ही मां भलेई की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए थे। बाद में पूर्ण विधि विधान के साथ मां की दो फीट ऊंची काले रंग की प्रतिमा को मंदिर में स्थापित किया गया। लोगों का कहना है कि मंदिर को बनाने के लिए मां भलेई ने ही चंबा के राजा प्रताप सिंह को धन उपलब्ध करवाया था। हजारों साल पहले बने इस मंदिर की वास्तुकला को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो जाता है, ये इतना खूबसूरत है।
मंदिर के पुजारी डॉ. लोकी नंद शर्मा ने बताया कि भलेई माता के असंख्य चमत्कार देखने को मिलते हैं। सच्ची श्रद्धा के साथ आने वाले हर श्रद्धालु की मुराद माता अवश्य पूरी करती है। मान्यता है कि कई बार मंदिर के गर्भग्रह में दो लोगों में से एक व्यक्ति को माता के चेहरे पर पसीना पड़ा दिखाई देता है जबकि दूसरे व्यक्ति को ये दिखता तक नहीं है।
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