ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में सत्र नहीं करवाने के मुद्दे पर सदन में गरमागरम बहस हुई। विपक्ष ने अवमानना नोटिस देकर सरकार को घेरने की कोशिश की। आरोप लगाया कि सरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर भूल गई है। विपक्ष ने कहा, सरकार को साहस दिखाते हुए गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करना चाहिए।
बुधवार को विधानसभा सत्र के दौरान सदन में प्रश्नकाल के बाद कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने अवमानना का प्रश्न उठाते हुए कहा कि चार मार्च 2020 को गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान तत्कालीन सीएम ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था।
तब से वहां एक भी सत्र आहूत नहीं किया गया है। एक दिन भी ग्रीष्मकालीन राजधानी वहां से संचालित नहीं हुई। पहले सरकार ने बजट सत्र गैरसैंण में कराने की घोषणा की फिर चारधाम यात्रा का बहाना बना दिया। कहा कि यदि सरकार गैरसैंण को लेकर गंभीर है, तो साहस दिखाते गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित कर देना चाहिए।
इस पर कांग्रेस विधायकों ने मेजें थपथपा कर उनका समर्थन किया। जवाब में संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मोर्चा संभाला तो वह उत्तराखंड आंदोलन के दौर में चले गए। उस वक्त की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ही उत्तराखंड राज्य गठन की नींव रखी थी, इसलिए हमने, अटल जी ने बनाया, मोदी जी संवारेंगे नारा दिया।
इस पर विपक्षी सदस्यों ने एतराज जताया। इस मुद्दे पर दोनों तरफ खूब तकरार हुई। गैरसैंण को लेकर दोनों दलों ने एक-दूसरे पर खूब अरोप-प्रत्यारोप लगाए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने पीठ से खड़े होकर अन्य सदस्यों को शांत कराया।
सरकार ने की घोषणा, अगला सत्र गैरसैंण में होगा
अवमानना के प्रश्न पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अगला विधानसभा का सत्र गैरसैंण में कराने की घोषणा की। कहा कि इस बार कोरोनाकाल के दो साल बाद रिकार्ड श्रद्धालु चारधाम यात्रा में आए हैं। यात्रा प्रभावित न हो, इसलिए इस बार बजट सत्र गैरसैंण में नहीं कराया गया।
2500 करोड़ रुपये की घोषणा की याद दिलाई नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री ने गैरसैंण के विकास के लिए 2500 करोड़ रुपये की घोषणा भी की थी। क्या सरकार बताने का कष्ट करेगी कि वार्षिक बजट में इस घोषणा के अंतर्गत कितनी धनराशि का प्रावधान किया गया है। इस पर संसदीय कार्यमंत्री ने जवाब दिया कि गैरसैंण के विकास को लेकर सरकार गंभीर है। उनके जवाब से आर्य संतुष्ट नजर नहीं आए।
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ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में सत्र नहीं करवाने के मुद्दे पर सदन में गरमागरम बहस हुई। विपक्ष ने अवमानना नोटिस देकर सरकार को घेरने की कोशिश की। आरोप लगाया कि सरकार गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर भूल गई है। विपक्ष ने कहा, सरकार को साहस दिखाते हुए गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करना चाहिए।
बुधवार को विधानसभा सत्र के दौरान सदन में प्रश्नकाल के बाद कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने अवमानना का प्रश्न उठाते हुए कहा कि चार मार्च 2020 को गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान तत्कालीन सीएम ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था।
तब से वहां एक भी सत्र आहूत नहीं किया गया है। एक दिन भी ग्रीष्मकालीन राजधानी वहां से संचालित नहीं हुई। पहले सरकार ने बजट सत्र गैरसैंण में कराने की घोषणा की फिर चारधाम यात्रा का बहाना बना दिया। कहा कि यदि सरकार गैरसैंण को लेकर गंभीर है, तो साहस दिखाते गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित कर देना चाहिए।
इस पर कांग्रेस विधायकों ने मेजें थपथपा कर उनका समर्थन किया। जवाब में संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने मोर्चा संभाला तो वह उत्तराखंड आंदोलन के दौर में चले गए। उस वक्त की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ही उत्तराखंड राज्य गठन की नींव रखी थी, इसलिए हमने, अटल जी ने बनाया, मोदी जी संवारेंगे नारा दिया।
इस पर विपक्षी सदस्यों ने एतराज जताया। इस मुद्दे पर दोनों तरफ खूब तकरार हुई। गैरसैंण को लेकर दोनों दलों ने एक-दूसरे पर खूब अरोप-प्रत्यारोप लगाए। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने पीठ से खड़े होकर अन्य सदस्यों को शांत कराया।