प्राथमिक विद्यालय मोती कटरा में फर्श पर बैठे बच्चे – फोटो : अमर उजाला
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आगरा में सरकारी सुविधाओं का फायदा नौनिहालों तक पहुंचाने में शिक्षा विभाग विफल साबित हो रहा है। आधी सर्दी बीतने को है, मगर अभी तक अधिकांश स्कूलों में बच्चे बिना स्वेटर और जूतों के ही पहुंच रहे हैं। कई स्कूलों में बैठने के लिए टाट तक नहीं है। वहां ठंडे फर्श पर बैठकर बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। बच्चों को टॉयलेट और पीने के पानी की सुविधाएं भी कई जगह मुहैया नहीं हो पा रही हैं।
जिले के 2491 विद्यालयों में ढाई लाख से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें से एक लाख से अधिक को आधा सत्र बीतने के बाद भी ठंड वाले यूनिफॉर्म नहीं मिल सके हैं। बच्चे बिना स्वेटर और जूते-मोजे पहने विद्यालय पहुंच रहे हैं। सरकार की ओर से स्कूल यूनिफॉर्म की मद में अभिभावकों के खातों में 1100 रुपये भेजे गए हैं। हालांकि अभी तक यहां 59000 छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खाते में धनराशि नहीं पहुंची है। जिन बच्चों के अभिभावकों को पैसा मिल गया है, उनका कहना है कि स्कूल ड्रेस व जूते मोजे पर खर्च 1500 से 1800 रुपये तक आ रहा है।
एक ही कमरे में चल रहीं आठ कक्षाएं
प्राथमिक विद्यालय मोती कटरा में दो कमरों के विद्यालय भवन में दो स्कूल संचालित हैं। दो कमरे और कार्यालय जर्जर स्थिति में होने के कारण उनमें ताला लटका है। विद्यालय में गुड़ की मंडी प्राथमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय को शिफ्ट किया गया है। विद्यालय में कुल 80 बच्चे पंजीकृत हैं। विद्यालय की इंचार्ज रश्मि ने बताया कि एक ही कमरे में कक्षा आठ तक के बच्चों को बैठाना मजबूरी है। ऐसे में बच्चों को पढ़ाना तो दूर, उन्हें संभालना भी मुश्किल हो जाता है। सर्दी में जमीन पर बैठाना बच्चों की मजबूरी है।
स्वेटर, जूता-मोजा की कहने पर मांगते हैं टीसी
शहर में स्थित कंपोजिट विद्यालय जगदीशपुरा, कंपोजिट विद्यालय वजीरपुरा, प्राथमिक विद्यालय प्रेम नगर आदि विद्यालयों में बच्चे सर्दी के दिनों में भी बिना स्वेटर और जूता के स्कूल आ रहे हैं। प्रधानाचार्यों का कहना है कि बच्चों को स्वेटर और जूता-मोजा के लिए दबाव बनाते हैं तो अभिभावक स्कूल से नाम काटने और टीसी की मांग करने लगते हैं।
बच्चे नंगे पैर पहुंच रहे
यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के महामंत्री राजीव वर्मा ने बताया कि बिना व्यवस्थाओं के देखे ही विद्यालयों को शिफ्ट कर दिया गया है। तमाम अभिभावकों के खाते में अभी धनराशि नहीं पहुंची है। ऐसे में कई बच्चे नंगे पैर ही सर्दी में स्कूल पहुंच रहे हैं।
खाते लिंक नहीं होने से दिक्कत
बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने कहा कि बच्चों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए अभिभावकों के खाते में डीबीटी की धनराशि भेजी गई थी, जिनके खातों में धनराशि नहीं पहुंची है। उन्होंने अपने खाते लिंक नहीं कराए होंगे। इसे दिखवाया जाएगा। इसके लिए निर्देश जारी कर रहे हैं।
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आगरा में सरकारी सुविधाओं का फायदा नौनिहालों तक पहुंचाने में शिक्षा विभाग विफल साबित हो रहा है। आधी सर्दी बीतने को है, मगर अभी तक अधिकांश स्कूलों में बच्चे बिना स्वेटर और जूतों के ही पहुंच रहे हैं। कई स्कूलों में बैठने के लिए टाट तक नहीं है। वहां ठंडे फर्श पर बैठकर बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। बच्चों को टॉयलेट और पीने के पानी की सुविधाएं भी कई जगह मुहैया नहीं हो पा रही हैं।
जिले के 2491 विद्यालयों में ढाई लाख से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें से एक लाख से अधिक को आधा सत्र बीतने के बाद भी ठंड वाले यूनिफॉर्म नहीं मिल सके हैं। बच्चे बिना स्वेटर और जूते-मोजे पहने विद्यालय पहुंच रहे हैं। सरकार की ओर से स्कूल यूनिफॉर्म की मद में अभिभावकों के खातों में 1100 रुपये भेजे गए हैं। हालांकि अभी तक यहां 59000 छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के खाते में धनराशि नहीं पहुंची है। जिन बच्चों के अभिभावकों को पैसा मिल गया है, उनका कहना है कि स्कूल ड्रेस व जूते मोजे पर खर्च 1500 से 1800 रुपये तक आ रहा है।
एक ही कमरे में चल रहीं आठ कक्षाएं
प्राथमिक विद्यालय मोती कटरा में दो कमरों के विद्यालय भवन में दो स्कूल संचालित हैं। दो कमरे और कार्यालय जर्जर स्थिति में होने के कारण उनमें ताला लटका है। विद्यालय में गुड़ की मंडी प्राथमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय को शिफ्ट किया गया है। विद्यालय में कुल 80 बच्चे पंजीकृत हैं। विद्यालय की इंचार्ज रश्मि ने बताया कि एक ही कमरे में कक्षा आठ तक के बच्चों को बैठाना मजबूरी है। ऐसे में बच्चों को पढ़ाना तो दूर, उन्हें संभालना भी मुश्किल हो जाता है। सर्दी में जमीन पर बैठाना बच्चों की मजबूरी है।