उत्तराखंड के जोशीमठ में अब तक 678 घरों में दरार आ चुकी है। कुल 81 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है। सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारियों और सदस्यों के साथ बैठक की। एनडीएमए सदस्यों ने सुझाव दिया कि भू-धंसाव क्षेत्र में पानी कहां रूका हुआ है और भू-धंसाव के कारण क्या हैं, इसका पता लगाया जाना जरूरी है। इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर भू-धंसाव क्या होता है? कैसे होता है? इसे कैसे मापा जाता है? क्या यह समस्या सिर्फ जोशीमठ में ही है? भू-धंसाव क्या होता है?
भू-धंसाव यानी पृथ्वी की सतह का धीरे-धीरे या अचानक धंसना। भू-धंसाव प्राकृतिक और मानवीय दोनों कारणों से हो सकता है। अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन के मुताबिक, भू-धंसाव अक्सर पानी, तेल, प्राकृतिक गैस या खनिज संसाधनों की पम्पिंग, फ्रैकिंग (टूटने) या खनन गतिविधियों के कारण होता है।
भूकंप, मिट्टी के दबाव, हिमनदों के बोझ तले दबी भूमि के खिसकने, कटाव, जमीन में गड्ढे बनने और हवा द्वारा जमा की गई महीन मिट्टी में पानी मिलने जैसी प्राकृतिक घटनाओं के कारण भी भू-धंसाव हो सकता है। धंसाव बहुत बड़े क्षेत्रों जैसे पूरे राज्यों या प्रांतों या बहुत छोटे क्षेत्रों जैसे हमारे आंगन के कोने में हो सकता है। भू-धंसाव कैसे होता है? भू-धंसाव तब होता है, जब कुछ खास प्रकार की चट्टानों से बड़ी मात्रा में भूजल निकाल लिया जाता है। जब पानी हटा लिया जाता है तो चट्टानें अपने आप नीचे गिर जाती हैं। भू-धंसाव पर हमारा ध्यान बहुत अधिक नहीं जा सकता, क्योंकि यह एक जमीन में गड्ढे की तरह एक छोटे से स्थान से लेकर बड़े क्षेत्रों में हो सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि धंसाव कोई बड़ी घटना नहीं है। अमेरिका के कैलिफोर्निया, टेक्सास और फ्लोरिडा जैसे राज्यों को इसके कारण पिछले कुछ वर्षों में करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ है।
यह एक वैश्विक समस्या है। अमेरिका में 45 राज्यों में 17,000 वर्ग मील से अधिक क्षेत्र धंसाव से सीधे प्रभावित हुआ है। भूमिगत जल के दोहन के कारण अमेरिका में 80 प्रतिशत से अधिक जगहों पर जमीन धंसी है। भूमि और जल संसाधनों के बढ़ते दोहन से यह खतरा बढ़ सकता है।
मैक्सिको सिटी में बेसिलिका के निचले इलाके की नींव धंस रही है। धंसाव की यह घटना पूरे मेक्सिको सिटी में हो रही है। इसने औपनिवेशिक युग की इमारतों को क्षतिग्रस्त कर दिया है। राजमार्गों को जाम कर दिया है और जल आपूर्ति और अपशिष्ट जल निकासी को बाधित कर दिया है। कुछ इमारतों को असुरक्षित माना गया है और उन्हें बंद कर दिया गया है और कई अन्य को सुरक्षित रखने के लिए मरम्मत की आवश्यकता है।
भूमि अवतलन अक्सर मानवीय गतिविधियों के कारण होता है, मुख्य रूप से उपसतह के पानी को हटाने से। सैन बर्नार्डिनो काउंटी, मोहावे रेगिस्तान, कैलिफोर्निया में ल्यूसर्न झील के पास एक बड़ी दरार दिखाई देने लगी है। इसका संभावित कारण भूजल स्तर का गिरना है। भू-धंसाव को कैसे मापा जाता है? भू-धंसाव से हुए परिवर्तनों को मापने का एक तरीका ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) है। अमेरिका में राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) का नेशनल जियोडेटिक सर्वे उच्च-सटीक जीपीएस रिसीवर का एक राष्ट्रीय नेटवर्क रखता है। इसे कंटीन्यूअसली ऑपरेटिंग रेफरेंस स्टेशन (सीओआरएस) कहा जाता है। इसका उपयोग स्टेशन पर ऊंचाई में बदलाव का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। CORS के बिना उपग्रह, अस्थायी जीपीएस रिसीवर, जियोडेटिक लेवलिंग के निरंतर सर्वेक्षण या जमीन और पानी में सेंसर लगाकर धंसाव को माप सकते हैं।
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उत्तराखंड के जोशीमठ में अब तक 678 घरों में दरार आ चुकी है। कुल 81 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है। सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के अधिकारियों और सदस्यों के साथ बैठक की। एनडीएमए सदस्यों ने सुझाव दिया कि भू-धंसाव क्षेत्र में पानी कहां रूका हुआ है और भू-धंसाव के कारण क्या हैं, इसका पता लगाया जाना जरूरी है। इस खबर में हम आपको बता रहे हैं कि आखिर भू-धंसाव क्या होता है? कैसे होता है? इसे कैसे मापा जाता है? क्या यह समस्या सिर्फ जोशीमठ में ही है?