काशी में गंगा स्नान करते श्रद्धालु – फोटो : अमर उजाला
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पौष पूर्णिमा पर शुक्रवार को गंगा में पुण्य की डुबकी के साथ माघ पर्यंत स्नान-दान, जप, व्रत, नियम, संयमादि का आरंभ हो गया। ये विधान माघ पूर्णिमा यानी पांच फरवरी तक चलेंगे। माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में गंगा, नर्मदा, यमुना में स्नान करने से पापों का क्षय होता है। इस माह में दान-पुण्य, रोगियों, निशक्तों की सेवा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
इस विशेष स्नान अनुष्ठान के लिए अलसुबह से ही श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंचे। स्नान-दान के साथ ही यहां से ही प्रयागराज समेत तीर्थों का ध्यान किया। कड़ाके की ठंड के कारण स्नानार्थियों की संख्या भले कम रही हो लेकिन दशाश्वमेध, पंचगंगा, अस्सी समेत घाटों पर दृश्य विभोर करने वाला रहा।
मोक्ष प्रदान करने वाला माघ स्नान, पौष पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है। माघ का स्नान पौष शुक्ल पूर्णिमा छह जनवरी प्रारंभ होकर माघ शुक्ल पूर्णिमा पांच फरवरी को पूर्ण होगा। माघ का पूरा माह पवित्र नदियों में स्नान, दान, पुण्य के लिए शुभ होता है।
शास्त्रों में तीन माह पर्यंत नित्य स्नान दान का विधान है। इसमें माघ, कार्तिक और वैशाख शामिल हैं। अन्य दोनों स्नान की तरह माघ स्नान को भी आयुर्वेदिक दृष्टि से ऋतु अनुसार शारीरिक अनुकूलन का अनुष्ठान माना जाता है। इन तीनों माह में सूर्योदय के समय गंगा, प्रयागराज संगम समेत नदी-तीर्थ में स्नान की मान्यता है।
माना जाता है कि माघ मास में जहां कहीं भी जल हो वह गंगाजल के समान ही होता है, फिर भी प्रयाग, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, काशी, नासिक, उज्जैन तथा अन्य पवित्र तीर्थों और नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है। स्नान से पूर्व हरि-हर का ध्यान, स्नान के दौरान सूर्यदेव को अर्घ्य और बाद में श्रीहरि का पूजन-अर्चन करना चाहिए। माघ स्नान करने वाले मनुष्यों पर भगवान विष्णु प्रसन्न रहते हैं तथा उन्हें सुख-सौभाग्य, धन-संतान और मोक्ष प्रदान करते हैं।
गंगा जल की निर्मलता और पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए पौष पूर्णिमा पर अभियान चलाया गया। नमामि गंगे व 137 बटालियन सीआरपीएफ, प्रादेशिक सेना गंगा टास्क फोर्स ने शुक्रवार सुबह दशाश्वमेध, प्रयाग, आरपी घाट पर जगह-जगह फेंके गए कूड़े-कचरे को साफ किया। घाटों पर श्रमदान के बाद पर्यटकों और आम लोगों को गंगा और घाटों को स्वच्छ रखने की शपथ भी दिलाई गई। गंगा मैया की जय के बीच नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला के नेतृत्व में सभी ने ‘सबका साथ हो, गंगा साफ हो’ के नारे संग प्रत्येक काशीवासी को गंगा स्वच्छता से जुड़ने की अपील की।
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पौष पूर्णिमा पर शुक्रवार को गंगा में पुण्य की डुबकी के साथ माघ पर्यंत स्नान-दान, जप, व्रत, नियम, संयमादि का आरंभ हो गया। ये विधान माघ पूर्णिमा यानी पांच फरवरी तक चलेंगे। माघ मास में ब्रह्म मुहूर्त में गंगा, नर्मदा, यमुना में स्नान करने से पापों का क्षय होता है। इस माह में दान-पुण्य, रोगियों, निशक्तों की सेवा करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।
इस विशेष स्नान अनुष्ठान के लिए अलसुबह से ही श्रद्धालु गंगा घाटों पर पहुंचे। स्नान-दान के साथ ही यहां से ही प्रयागराज समेत तीर्थों का ध्यान किया। कड़ाके की ठंड के कारण स्नानार्थियों की संख्या भले कम रही हो लेकिन दशाश्वमेध, पंचगंगा, अस्सी समेत घाटों पर दृश्य विभोर करने वाला रहा।
मोक्ष प्रदान करने वाला माघ स्नान, पौष पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा को समाप्त होता है। माघ का स्नान पौष शुक्ल पूर्णिमा छह जनवरी प्रारंभ होकर माघ शुक्ल पूर्णिमा पांच फरवरी को पूर्ण होगा। माघ का पूरा माह पवित्र नदियों में स्नान, दान, पुण्य के लिए शुभ होता है।