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इसके अलावा साइलेंट जोन का परिसर विकसित किया गया है, जहां योगा और ध्यान लगाया जा सकेगा। पर्यटन के नए केंद्र के रूप में विकसित हो रही टेंट सिटी में शाम के समय सैलानियों को गोवा जैसा अहसास होगा। गंगा किनारे लगे बेंच पर सुबह से सनबाथ की सुविधा के साथ ही शाम को डूबते सूरज को निहारने की भी व्यवस्था की गई है।
टेंट सिटी को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए नो पॉल्यूशन जोन की नीति का पालन करते हुए बायो टायलेट लगाए जा रहे हैं। टेंट सिटी को नो प्लास्टिक जोन घोषित करते हुए इको फ्रेंडली तैयार किया जा रहा है। किसी प्रकार का कूड़ा बालू क्षेत्र में डंप नहीं होगा। पर्यटकों को पर्यावरण संरक्षण और क्षेत्र में पर्यावरण को ध्यान रखने की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए जगह जगह शाइनेज लगाने के अलावा जागरूकता मित्र भी तैनात किए जाएंगे।
नमो घाट अथवा अन्य घाट से टेंट सिटी जाने वाले पर्यटकों के लिए गंगा रेती पर मेटल के बेस पर सड़क मार्ग बनाया गया है। यहां से पर्यटकों की आवाजाही के लिए सजे धजे गोल्फ कार्ट तैयार रहेंगे। पर्यटकों के गंगा रेती पर बनाए बेस पर पहुंचते ही इलेक्ट्रिक वाहन उनकी स्वागत में लगा दिए जाएंगे। पर्यटकों को लेकर इलेक्ट्रिक वाहन उनके गंतव्य तक पहुंचाएंगे।
वाराणसी के पर्यटन क्षेत्र में एक नया मानक टेंट सिटी के रूप में गंगा के उस पार रेत पर बनाया जा रहा है। यहां टेंट में भी 5 स्टार होटलों जैसी सुविधा मिलेगी। बनारस की धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दुनिया से रूबरू कराने का ये एक नया प्रयोग है। बनारस की धार्मिक आस्था के अनुसार, सीवेज सिस्टम से लेकर खान-पान तक में विशेष एहतियात बरती जा रही है।
कार्यदायी संस्था के अधिकारियों के मुताबिक रेत में बसाए जा रहे शहर में पर्यावरण संरक्षण का पूरा ध्यान रखा गया है। यहां हरियाली के लिए गमलों में सजावटी फूलों को लगाया जाएगा। फूलों की देखभाल के लिए कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी। टेंट सिटी के मार्ग में गमले लगाए जाएंगे। गर्मी के दिनों में पौधे न सूखे, इसका भी बंदोबस्त किया जाएगा।
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